Mahamaai

Hardbound
Hindi
9789326350273
1st
2012
88
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महामाई - पौराणिक मिथकों को लेकर रचनाओं के सृजन की परम्परा पुरानी रही है। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित रचनाकार चन्द्रशेखर कंबार की रचनाओं में ऐसे मिथकों का पुनःसृजन हुआ है। उदाहरण के लिए इसी नाटक में नाटककार ने शेटिवी का चित्रण मृत्यु की देवी के रूप में किया है जबकि कन्नड़ लोककथा में उन्हें भाग्य की देवी का दर्जा प्राप्त है। विश्व की अधिकतर लोककथाओं की तरह इस नाटक का मूल कथ्य मृत्यु पर मनुष्य की जीत है, हालाँकि प्रत्येक लोककथा में इस महाविजय के तरीक़े व साधन अलग-अलग रहे हैं। उदाहरणार्थ मार्कंडेय की लोककथा में भक्ति, सावित्री की कथा में ब्रह्मज्ञान व हरक्युलिस में असीम शारीरिक शक्ति जीत के साधन रहे हैं। 'महामाई' में इसे दूसरे ढंग से रखा गया है। यहाँ मृत्यु की देवी महामाई और उसके दत्तक पुत्र वैद्य संजीव के बीच अन्तर्द्वन्द्व है। माई जहाँ लोगों का प्राण हरती है, वहीं पुत्र उन्हें जीवनदान देता है। अन्ततः विजय पुत्र की होती है, लेकिन यहाँ यह जीत वैद्यक दक्षता के कारण नहीं, बल्कि मानवीय प्रेम व संवेदन के कारण हुई है। 'महामाई' की सार्थकता आज की मानवीय अवस्था से है जहाँ मनुष्य बिना आज़ादी के विश्व-शक्तियों द्वारा नियन्त्रित है। नाटक का नायक ऐसे विश्व में जी रहा है जहाँ आस्था जीवन में नहीं, मौत में है। जहाँ मौत की देवी उसे शक्ति तो देती है, लेकिन उस शक्ति को अपनी इच्छानुसार इस्तेमाल करने की आज़ादी नहीं देती। यहीं नायक संजीव शिव को जीवन के अधूरेपन और प्रेम की अनुभूति का भान होता है। इन्हीं मूलभूत प्रश्नों को लेकर प्रस्तुत नाटक 'महामाई' का ताना-बाना बुना गया है।

चन्द्रशेखर कंबार (Chandrashekhar Kambar )

चन्द्रशेखर कंबार - वर्ष 1937 में कर्नाटक के घोदगेरी नाम एक छोटे से गाँव में जनमे पद्मश्री चन्द्रशेखर कंबार कन्नड़ के प्रख्यात नाटककार-कवि-उपन्यासकार आलोचक हैं। इनकी रचनाओं में प्राचीन मिथकों-

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