Kirchiyan

Paperback
Hindi
9788126319800
7th
2020
268
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किर्चियाँ - 'ज्ञानपीठ पुरस्कार' से सम्मानित आशापूर्णा देवी आधुनिक बांग्ला की अग्रणी उपन्यासकार रही हैं। कहानी-लेखन में भी वह उतनी ही सिद्धहस्त थीं। उनकी आरम्भिक कहानियाँ किशोरवय के पाठकों के लिए थीं और द्वितीय महायुद्ध के समय लिखी गयी थीं। उनकी सभी छोटी-बड़ी कहानियों में जीवन के सामान्य एवं विशिष्ट क्षणों की ज्ञात-अज्ञात पीड़ाएँ मुखरित हुई हैं। सच पूछिए तो उन्होंने इनको वाणी से कहीं अधिक दृष्टि दी है। इसलिए उनकी कहानियाँ पात्र, संवाद या घटना-बहुल न होती हुई भी जीवन की किसी अनकही व्याख्या को व्यंजित करती हैं।

रणजीत साहा (Ranjit Saha)

डॉ. रणजीत साहाहिन्दी के सुपरिचित विद्वान डॉ. रणजीत साहा (जन्म : 21 जुलाई, 1946), हिन्दी में एम.ए. ( प्रथम श्रेणी), विश्वभारती, शान्तिनिकेतन से पीएच.डी. तथा तुलनात्मक साहित्य एवं ललित कला अधिकाय में भी उ

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आशापूर्णा देवी (Ashapoorna Devi)

आशापूर्णा देवीबंकिमचन्द्र, रवीन्द्रनाथ और शरत्चन्द्र के बाद बांग्ला साहित्य-लोक में आशापूर्णा देवी का ही एक ऐसा सुपरिचित नाम है, जिनकी हर कृति पिछले पचास सालों से बंगाल और उसके बाहर भी एक नय

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