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जिन खोजा तिन पाइयाँ - प्रतिष्ठित लेखक अयोध्याप्रसाद गोयलीय के इस अप्रतिम कथा-संग्रह 'जिन खोजा तिन पाइयाँ' को यदि हिन्दी का हितोपदेश कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। वही अनुभव, वही ज्ञान, वही विवेक है इसमें। अनुभवी लेखक गोयलीय जी ने जीवन और जगत में जो देखा, सुना, पढ़ा और समझा, प्रस्तुत कृति में सरल सुबोध शैली में सँजोकर रख दिया है। इसमें जीवन-निर्माण एवं उत्साह, प्रेरणा तथा शक्ति प्रदान करनेवाली 102 लघु-कथाएँ हैं। इनका स्वरूप लघु है पर ज्ञान-गुम्फन की दृष्टि से सागर जैसी प्रौढ़ता, विशालता तथा विस्तार है। इनमें बहुत-सी कहानियाँ मनुष्य के अन्तर की उस उँचाई को पाठक के सामने पेश करती हैं जो उसे सचमुच मनुष्य बनाती हैं। हिन्दी के सहृदय पाठक को समर्पित है भारतीय ज्ञानपीठ की एक सुन्दर कृति, नयी साज-सज्जा के साथ।
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