Jangal Ka Jadoo Til-Til

Pratyaksha Author
Hardbound
Hindi
9788126317844
3rd
2009
152
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जंगल का जादू तिल-तिल -
युवा रचनाकार प्रत्यक्षा का पहला कहानी-संग्रह 'जंगल का जादू तिल-तिल' अनेक दृष्टियों से विशिष्ट है। ये कहानियाँ प्रत्यक्ष जगत की अप्रत्यक्ष सच्चाइयों को यथोचित कथा-विस्तार के साथ प्रस्तुत करती हैं। कई बार हर्ष-विषाद का सम्यक् स्वरूप ऊपरी सतह पर नहीं दिखता; वह व्यक्तित्व, परिस्थिति, प्रक्रिया अथवा परिणति के अनन्त अतल में पैठा रहता है। प्रत्यक्षा अपनी अनेक कहानियों में इस 'अनन्त अतल' की थाह लगाती दिखती हैं। वे स्त्री के अन्तरंग में गूंजती ध्वनियों को संगति प्रदान करती हैं। काम, प्रेम, वासना, तृप्ति, पिपासा और आसक्ति से जुड़े कई प्रश्न इन कहानियों में आकार पाते हैं।
जीवन के राग-विराग को जिस सहजता के साथ प्रत्यक्षा ने परम्परा और आधुनिकता की अचूक समझ के द्वारा व्यक्त किया, वह रेखांकित करने योग्य है। 'बक्से का जादू', 'डरने का डर' और 'रात पाली के बाद' जैसी कुछ कहानियाँ लघुकथा के रूप में परिचित विन्यास का उदाहरण हैं। वस्तुत: ये बिम्बबहुला रचनाएँ एक कथायुक्ति का सार्थक प्रयोग हैं।
प्रत्यक्षा अपनी रचनात्मक क्षमता को 'जंगल का जादू तिल-तिल' एवं 'दिलनवाज़ तुम बहुत अच्छी हो' में एक विरल उपलब्धि तक ले जाती हैं। उनके पास अद्यतन भाषा है, जो इस संग्रह की कहानियों को महत्त्वपूर्ण बनाती है। निस्सन्देह प्रत्यक्षा अपनी इन कहानियों के द्वारा पाठकों को समकालीन यथार्थ के सम्मुख ला खड़ा करती हैं।

प्रत्यक्ष (Pratyaksha )

प्रत्यक्षा - जन्म: 26 अक्तूबर, गया (बिहार)। शिक्षा: एम.ए. (इतिहास), एम.बी.ए. (वित्त)। 'हंस', 'नया ज्ञानोदय', 'बया' और 'परिकथा' में कहानियाँ प्रकाशित। ई-मैगज़ीनों ('अभिव्यक्ति', 'कृत्या' और 'हिन्दी नेस्ट') में क

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