Gandhi Aur Dalit Bharat-Jagran

Hardbound
Hindi
9788126319671
3rd
2010
284
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गाँधी और दलित भारत-जागरण - 'गाँधी और दलित भारत जागरण' महात्मा गाँधी को केन्द्र में रखकर विभिन्न ज्वलन्त विषयों पर चिन्तन लेखन करनेवाले श्रीभगवान सिंह की एक महत्त्वपूर्ण पुस्तक है। इससे पहले गाँधी और हिन्दी राष्ट्रीय जागरण शीर्षक से उनकी एक पुस्तक प्रकाशित और चर्चित हो चुकी है। श्रीभगवान सिंह रूढ़ हो चुकी परिभाषाओं, अवधारणाओं का पुन:पाठ करते हुए उनमें निहित सार्थक मन्तव्यों को रेखांकित करते रहे हैं। ऐसी स्थिति में उनके द्वारा प्रतिपादित विषय स्वतः नवीन निष्कर्षों तक पहुँच जाते हैं। प्रस्तुत कृति 'गाँधी और दलित भारत-जागरण' में लेखक ने दलित शब्द की परिधि व्यापक करते हुए पराधीन अर्थात् दलित भारत के जागरण में गाँधी और अम्बेडकर की भूमिका पर सांगोपांग विचार किया है। अस्पृश्यता निवारण जागरण, स्त्री-जागरण अर्थात् स्त्री सशक्तीकरण का उभार, मातृभाषा एवं राष्ट्रभाषा-जागरण एवं स्वराज्य जागरण अध्यायों के अन्तर्गत लेखक ने गाँधी के विराट योगदान को आधुनिक विमर्शों के बीच ला खड़ा किया है। इस प्रकार व्यापक सामाजिक सन्दर्भों के साथ उन्होंने गाँधी दर्शन का एक ऐसा पुनःपाठ प्रस्तुत किया है, जिसमें अनेकानेक वादों-विवादों संवादों की समीक्षा भी सम्भव हुई है। श्रीभगवान सिंह ने गाँधी वाङ्मय में उपलब्ध मौलिक गाँधी साहित्य को विवेचन का आधार बनाया है, इसलिए पुस्तक की प्रामाणिकता असन्दिग्ध है। उल्लेखनीय है कि लेखक किसी भी प्रकार की वैचारिक शिविरबद्धता से दूर रहा है। यही कारण है कि उनके लेखन में विचारधारा सम्बन्धी सन्तुलन स्पष्ट दिखाई देता है। प्रवाहपूर्ण भाषा, सुगम शैली, तीक्ष्ण तर्कपद्धति और निर्भ्रान्त निष्कर्षों से युक्त यह विचारोत्तेजक पुस्तक पाठकों को निश्चित रूप एक नयी दृष्टि प्रदान करेगी।

श्रीभगवान सिंह (Shribhagwan Singh )

श्रीभगवान सिंह - जन्म: 1 जनवरी, 1954, निखतीकलाँ, ज़िला-सिवान, बिहार। शिक्षा: पटना विश्वविद्यालय से राजनीतिशास्त्र में एम.ए., जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम.ए., एम.फिल., पीएच.डी.। प्रक

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