Dhai Aakhar Prem Ke

Hardbound
Hindi
9789326351164
1st
2013
208
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ढाई आखर प्रेम के -

भावभीनी चित्रात्मक, साथ ही परिनिष्ठित शैली में गद्य लिखने की पुष्पा भारती की क्षमता अद्वितीय है। उनकी लिखी पुस्तकें आद्योपान्त पढ़कर जो अनुभूति होती है, वह हृदय से बधाई देने को बाध्य करती है।
— हरिवंश राय बच्चन


मैं मन्त्रमुग्ध-सा पुष्पा भारती की लेखनीय की ज्योतिर्मयता पर अभिभूत हो उठा हूँ।
— शिवमंगल सिंह 'सुमन'


कथाएँ पढ़कर मन हराभरा हो जाता है। कई बार आँखें छलक आती हैं। लेखिका के प्राण बहुत तरल हैं, वही तरलता पाठक के प्राणों को भी छलका देती है। मैं तो इसे प्रभु का वरदान ही मानता हूँ।
— भारतभूषण अग्रवाल


सहज सरल भाषा में जो चित्र उकेरे हैं वे मन और मस्तिष्क दोनों पर सहज ही अंकित हो जाते हैं। सारे के सारे लेख लीक से हटकर हैं। उनमें कहानी का रस भी है और कहीं-कहीं कविता की चिरमयता भी जो अन्तर में गहरे अंकित हो जाती है, और कथाओं में वर्णित सभी पात्रों के अन्तर की धड़कनें भी सुनायी देने लगती हैं।
— विष्णु प्रभाकर


पुष्पा जी की भाषा में एक ऐसी रवानगी है कि ठोस से ठोस विषय भी पिघल कर दरिया-सा आँखों के आगे लहराने लगता है। और शैली में तो काव्यात्मकता इतनी अधिक है कि ऐसा अहसास होता है जैसे हम किसी रेशमी नज़्म को सुन रहे हों।
— प्रकाश द्विवेदी

पुष्पा भारती (Pushpa Bharti )

पुष्पा भारती 11 जून 1935 को उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में जन्म। 1955 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम.ए.।1956 से कलकत्ता विश्वविद्यालय से सम्बद्ध श्री शिक्षायतन कॉलेज में पाँच वर्ष अध्या

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