दर्द आया था दबे पाँव - जे. एन. कौशल (जितेन्द्र नाथ कौशल) रंगमंच के एक प्रतिभाशाली शिक्षक, निर्माता और लेखक थे। 'दर्द आया था दबे पाँव' में उनके 28 लेखों, रंग-प्रसंगों व संस्मरणों का संचयन है। इनके माध्यम से भारतीय विशेषकर हिन्दी रंगमंच का चालीस वर्ष का इतिहास एक रूप में हमारे सामने प्रस्तुत हुआ है। भिन्न प्रस्तुत सभी संस्मरण प्रायः चर्चित रंगकर्मियों से सम्बद्ध हैं या फिर कुछ अवसरों को रेखांकित करते हैं। बेहद रोचक और आकर्षक शैली में लिखे गये इन संस्मरणों को पढ़ते हुए लगता है जैसे घटनाएँ दृश्य-चित्रों के रूप में बड़ी नाटकीयता से हमारी आँखों के सामने आकार ग्रहण कर रही हों। 'दर्द आया था दबे पाँव' में एक ओर ब. व. कारन्त, विजय तेन्दुलकर, बी. एम. शाह जैसे बारह महान रंगकर्मियों का अन्तरंग चित्रण है तो अन्य लेखों में घटनापरक कुछ भावभीनी स्मृतियाँ और कथ्यपरक आलेख हैं। आज़ादी के बाद उभरे जिन व्यक्तित्वों भारतीय रंगमंच को नयी दिशा दी है, उन्हें जानने-समझने में कौशल जी की यह महत्त्वपूर्ण कृति पाठकों के लिए निस्सन्देह सहायक सिद्ध होगी।
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