Clean Chit

Yogita Yadav Author
Hardbound
Hindi
9789326352413
3rd
2019
132
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क्लीन चिट - इधर की कहानी के केन्द्रीय मुद्दों जैसे स्त्री, दलित, दमन-क्रूरता और भ्रष्टाचार के सीमान्तों को स्पर्श करती हुई भी युवा पीढ़ी की कहानीकार योगिता यादव की कहानियाँ उन विषयों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि उनसे गुज़रती हुई उनके परे झाँकने का प्रयत्न करती हैं। 'नागपाश' कहानी ही लें जिसमें स्त्री की अन्तर्वेदना को चालू जुमलों से बयान करने के बजाय एक मनोवैज्ञानिक स्थिति का बोध कराया गया है। 'नेपथ्य में' कुछ अलग तरह की कहानी है। दृश्य और गति का सन्तुलन इस कहानी को नाट्य के क़रीब ले गया है। स्वतन्त्र भारत के ख़्वाब की फ़ैंटेसी कथा-शब्द के बजाय नाटकीय बन्दिश लिये हैं। इसी तरह 'भेड़िया' कहानी का विचार लोक मन में बैठे भय का है, लेकिन ट्रीटमेंट और अप्रोच काव्यात्मक है। 1984 के दंगे जिसे सन्दर्भित करते हुए यहाँ एक कहानी है—'क्लीन चिट'। इसमें आतंक के साये कुछ इस तरह फैलते हैं कि पारिवारिक ढाँचा चरमराने लगता है। बाहरी घटना कैसे एक भीतरी वारदात बनती हैं, घटना के बीत जाने के बाद भी वह कैसे पीछा करती रहती है, घटना से निजात पा लेने के बाद, कहानी के ठीक अन्त में यह ख़बर '84 के दंगों में दो और को क्लीन चिट' पूरी कहानी को नये सिरे से पढ़ने के लिए उकसाती है। पाखण्ड और विद्रूप के ख़िलाफ़ प्रतिरोध की एक सादी-सी सुलगती लकीर को 'कतअ ताल्लुक' कहानी में कौन अनदेखा कर सकता है? 'क्लीन चिट' योगिता यादव का पहला कहानी संग्रह है। उसकी पहली कथा दस्तक जो कई तरह की सम्भवनाएँ जगाती है। उम्मीद है वह अपनी कहानियों में वस्तु, शिल्प और भाषा के धरातलों पर नये प्रयोग करती रहेंगी और नयी कथा-राहों पर चलती रहेंगी।—नरेन्द्र मोहन

योगिता यादव (Yogita Yadav)

जून, 1981 को दिल्ली में जन्मी योगिता यादव की रचनाओं में स्त्री मनोविज्ञान का बेहद सूक्ष्म विश्लेषण मिलता है। अपनी पहली कृति 'क्लीन चिट' (कहानी संग्रह, वर्ष 2014 में भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित) से ह

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