चोर सिपाही - वर्तमान युवा पीढ़ी लेखकों के बारे में धारणा है कि इसके कथा लेखन में 'कहानी' को ढूँढ़ना पड़ता है... और यह कि इसमें 'आत्मा' नहीं है... ख़ाली भाषा का ज़ोर है और स्टाइल का आडम्बर है। मैं इससे पूरी तरह सहमत हूँ... क्योंकि मैंने इस पीढ़ी के प्रमुख हस्ताक्षर मो. आरिफ़ की 'फूलों का बाड़ा' आद्योपान्त पढ़ी है। आरिफ़ की कहानियाँ अपनी सादगी, सरलता और 'शार्पनेस' से हतप्रभ कर देती हैं। इसके विषय और इनका गद्य... दोनों ही विशिष्ट हैं। इसके यहाँ ‘पठनीयता' के साथ जो 'गम्भीरता' है वह विरल है।—नामवर सिंह
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