Andhere Mein Hanshi

Hardbound
Hindi
8126310375
3rd
2016
164
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अंधेरे में हँसी - एक संघर्ष भरी ज़िन्दगी के बीच जीने की जद्दोजहद योगेन्द्र आहूजा की कहानियों की विशेषता है। उनकी कहानियाँ उजाले में आने की आकांक्षा में मानो किसी अँधेरी सुरंग में यात्रा करने की भयावहता का दास्तान सुनती हों। साहित्य जगत् के कुछ महत्वपूर्ण पात्रों की कहानियों में उपस्थिति जैसे यही बताती हो कि पाठक इन्हें सिर्फ़ स्वप्न-कथा ही नहीं समझे बल्कि वह सृजनशील लोगों और चिन्तकों द्वारा किये जा रहे प्रतिरोध की सच्चाई को भी महसूस करे। योगेन्द्र आहूजा अपने लेखन में क्लाइमेक्स तक पहुँचने की जल्दबाज़ी में नहीं दिखते। शास्त्रीय गायक की तरह दूर तक ले जाते हैं। गन्तव्य की तलाश में वे प्रायः अपने पाठकों को भूलभुलैया में डाल देते हैं, यह भी उनकी कला है। वे इसके ज़रिये जीवन के उलझाव को रेखांकित करते हैं। हक़ीक़त को बयान करनेवाली इन कहानियों में अँधेरे से उलझते हुए भी शोषण से मुक्ति का स्वप्न नज़र आता है। निश्छल सामाजिकता की उजली इबारत पर स्याही फेरनेवाले जन विरोधी लोगों के अँधेरे के विरुद्ध योगेन्द्र आहूजा की कहानियाँ ज़ोर से हँसती नज़र आती हैं।

योगेंद्र आहूजा (Yogendra Ahuja )

जन्म: 1 दिसम्बर, 1959, बदायूँ (उत्तर प्रदेश) में। प्रारम्भिक शिक्षा काशीपुर (नैनीताल) में। 1980 में बरेली कॉलेज, बरेली से एम.ए. (अर्थशास्त्र)। पुरस्कार सम्मान: 'ग़लत' कहानी के लिए 1999 का 'कथा' पुरस्कार। वर

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