“कविगण इसलिए पुस्तकें लिखते हैं कि लोगों को युग और अपने बारे में, आत्मा की हलचल के सम्बन्ध में बता सकें, उनको अपनी भावनाओं और विचारों से अवगत करा सकें। सम्भवतः कविगण ही संसार में सर्वाधिक उदार व्यक्ति हैं। वे लोगों को सबसे ज़्यादा मूल्यवान और वांछित चीज़ भेंट करते हैं। पुश्किन से लेकर त्वार्दोव्स्की तक, रूसी कवियों ने मुझे रूस, उसका इतिहास, उसका भाग्य और उसकी आत्मा भेंट की। शेव्चेन्को और रील्स्की ने सभी सुखों-दुखों के साथ मुझे उक्रइना भेंट किया। रुस्तावेली और लिओनीद्ज़े ने सभी कोमल भावनाओं तथा साहस की छवि के साथ मुझे जॉर्जिया के दर्शन कराये। मैं इसाक्यान का आभारी हूँ कि उन्होंने मुझको, अवार जाति के व्यक्ति को, सेवान झील और अरारात के हिम-मण्डित शिखर की छटा दिखायी। विभिन्न देशों, युगों, राष्ट्रों और जनगण के कवि स्पेन की धरती और आकाश, इटली की मधुर धुने तथा रंग, भारत की प्रार्थनाएँ और प्रण, फ्रांस का सौन्दर्य एवं सत्य मेरे पहाड़ी घर में लाये...मेरे पूर्वजों, मेरी धरती के प्रबोधकों-गायकों की महान थाती के रूप में मुझे बहुत बड़ा खज़ाना-मेरा दाग़िस्तान-मिला है।"
ये शब्द हैं सन् 1923 में दूर-दराज़ के त्सादा गाँव में जन्म लेनेवाले दाग़िस्तान के पहाड़ी जन-कवि रसूल हमज़ातोव के, जिन्होंने वहाँ की जनता की सारी सांस्कृतिक निधि को समाहित किया है।
'मेरा दागिस्तान' पाठकों की सेवा में प्रस्तुत किया जा रहा है। यह कवि द्वारा गद्य में लिखी गयी पुस्तक है। यह आत्मकथात्मक रचना है, सच्चे दिल से लिखी गयी है। यह लोगों के प्रति भलाई, उनके और मातृभूमि के प्रति प्यार की भावनाओं से ओत-प्रोत है।
रसूल हमज़ातोव
मॉस्को के साहित्य-संस्थान में रसूल हमजातोव के प्रवेश को उनके सृजनात्मक जीवन का नव युगारम्भ मानना चाहिए। वहाँ उन्हें न केवल मॉस्को के प्रमुखतम कवि अध्यापकों के रूप में मिले, ब