फ़िराक़ के इस कविता-संग्रह में उनकी ऐसी रचनाएँ हैं, जो जीवन का भावातीत सन्देश देती हैं। इन कविताओं में दो सत्यों का या सत्य के दो रूपों का संगम और मिलाप है : और अदृश्य, एकात्मकता और बहुरूपता, आंशिकता और पूर्णता, बहुत साफ़, तेज़ और खरादी हुई इन्फ़रादियत और इस सिरे से उस सिरे तक फैले भेदभावों को निगलती हुई रहस्यमयता, बिलगाव और आत्मीयता, अन्धकार और प्रकाश, जीव, ब्रह्म और जगत, घर और देवलोक-सभी एक केन्द्र बिन्दु पर आकर मिल गये हैं।
इसके अतिरिक्त फ़िराक़ साहब की इन कविताओं के बारे में यदि और कुछ कहा जाय, तो ये महाध्वनि और महाशान्ति हैं। इन कविताओं में शायद ध्वनि ही शान्ति का रूप ले लेती है। फ़िराक़ की आत्मा और चेतना जिस वस्तु का स्पर्श करती है-वही कविता बन जाती है। वे शब्दों में प्राण-प्रतिष्ठा करते हैं। पाठकों की चेतना पर उनकी ये कविताएँ जादू जैसा असर डालती हैं, एक ऐसा जादू, जो मनुष्य के दुःख-सुख, सच्चे-झूठे सपनों, समाज की पीड़ाओं और उसकी रहस्यात्मक प्रवृत्ति के ताने-बाने से बने हैं। संक्षेप में कहा जाय तो उस महान शायर की ये कविताएँ जीवन का विष-पान करके अमरत्व का सन्देश देती हैं।
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