Patrakarita : Itihas Aur Prashna

Hardbound
Hindi
9789350720851
4th
2023
152
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“हिन्दी पत्रकारिता के आरम्भ के युग में हमारे पत्रकारों की जो प्रतिष्ठा थी, वह आज नहीं है। साधारण रूप से तो यह बात कही जा ही सकती है, अपवाद खोजने चलें तो भी यही पाएँगे कि आज का एक भी पत्रकार या सम्पादक वह सम्मान नहीं पाता जो कि पचास-पचहत्तर वर्ष पहले के अधिकतर पत्रकारों को प्राप्त था । ... आज के सम्पादक-पत्रकार अगर इस अन्तर पर विचार करें तो स्वीकार करने को बाध्य होंगे कि वे न केवल कम सम्मान पाते हैं बल्कि कम सम्मान के पात्र हैं-या कदाचित् सम्मान के पात्र बिल्कुल नहीं हैं, जो पाते हैं वह पात्रता से नहीं, इतर कारणों से।
... अप्रतिष्ठा का प्रमुख कारण यह है कि उसके पास मानदंड नहीं है । यहीं हरिश्चन्द्र कालीन सम्पादक-पत्रकार- या उतनी दूर न जाएँ तो महावीर प्रसाद द्विवेदी का समकालीन भी हम से अच्छा था। उसके पास मानदंड थे, नैतिक आधार थे और स्पष्ट नैतिक उद्देश्य भी। उनमें से कोई ऐसे भी थे जिनके विचारों को हम दकियानूसी कहते, तो भी उनका सम्मान करने को हम बाध्य होते थे क्योंकि स्पष्ट नैतिक आधार पाकर वे उन पर अमल भी करते थे- वे चरित्रवान थे। आज - विचार - क्षेत्र में हम अग्रगामी भी कहला लें, तो कर्म के नैतिक आधारों की अनुपस्थिति में निजी रूप से हम चरित्रहीन ही हैं और सम्मान के पात्र नहीं हैं।”

कृष्णा बिहारी मिश्र (Krishna Bihari Mishra)

कृष्णा बिहारी मिश्र  जन्म: 1 जुलाई, 1936 बलिहार, बलिया (उ.प्र.)। शिक्षा: एम.ए. (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय एवं पीएच.डी. (कलकत्ता विश्वविद्यालय)।1996 में अंगवासी मानिंग कॉलेज के हिन्दी विभागाध्यक्ष के प

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