Man Aanam

Hardbound
Hindi
81-7055-753-4
9788170557531
1st
2023
128
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‘मन आनम' एक कालजयी पुस्तक है। इस पुस्तक में फ़िराक़ गोरखपुरी तथा मुहम्मद तुफ़ैल की ख़तो-किताबत है। फ़िराक़ के प्रशंसकों के लिए यह एक संग्रहणीय तोहफ़ा है।
ये ख़त जो आपके सामने हैं, इन्हें मुरत्तब करने में मुझे बड़ी दिक्कतें पेश आईं। इसलिए कि 'फ़िराक़' साहिब को पहले-पहल ये इल्म न था कि ख़त छपेंगे भी, इसलिए उन्होंने अपने कलम को जैसे चाहा हँकाया। इससे जहाँ थोड़ी-बहुत बेराहरवी को जगह मिली, वहाँ पर उनके पुर-खुलूस और सच्चे जज़्बात भी उभर कर सामने आए। यूँ मैं समझता हूँ कि नुकसान कम, फाइदा ज़्यादा हुआ ।
उनके कुछ ख़त अभी मैंने पेश नहीं किए, इसलिए कि उनमें कुछ ज़्यादा ही मुख़लिस और कुछ ज़्यादा ही सच्चे हो गए हैं-चूँकि ज़्यादा मुखलिस इंसान अपनी तमाम तर होश मंदी के बावजूद पागल और ज़्यादा सच्चा इंसान अपनी तमाम तर शराफ़त के बावजूद बदतमीज़ कहलाता है। इसीलिए मैंने कोशिश की है कि अपने इस प्यारे दोस्त को इन 'ख़राबियों' से बचा ले जाऊँ। इसके बावजूद 'फ़िराक़' इन ख़तों में हर तरह से और हर रंग में सामने आए हैं-यही 'फ़िराक़' की वो खूबी है जिस पर मस्लहत- आमेज़ शराफ़त के सारे गिलाफ़ निसार किए जा सकते हैं ।
मैं इन ख़तों को अपनी और 'फ़िराक़' साहिब की जिंदगी में इसलिए छाप रहा हूँ ताकि कल-कलों को बुकरात क़िस्म का मुहक्किक ये साबित करने पर अपना वक़्त जाया न करे कि ये ख़त 'फ़िराक़' साहिब के लिखे हुए ही नहीं। इसलिए कि तुफ़ैल का इंतिकाल तो फलाँ सन् में हो गया था और ये ख़त उसके मरने के भी आठ बरस बाद 'हिज' नामी शख़्स ने लिखे थे।
- मुहम्मद तुफैल

फ़िराक़ गोरखपुरी (Firaq Gorakhpuri)

फ़िराक़ गोरखपुरी (1896 - 1982) 1896 : अगस्त 28, गोरखपुर में जन्म।1913 : स्कूल लीविंग परीक्षा में उत्तीर्ण।1915 : एफ़.ए.। म्योर सेंट्रल कालेज, इलाहाबाद से।1917 : जून 18 : पिता मुंशी गोरखप्रसाद 'इबरत' का देहान्त। बी.ए. मे

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