Kokla Dakait Tatha Uttrakhand Kee Anya Kahaniyan

Yashpal Author
Hardbound
Hindi
9789350008249
2nd
2016
230
If You are Pathak Manch Member ?

कोकला डकैत तथा उत्तराखंड की अन्य कहानियाँ -

'यशपाल की कहानियाँ'—कहानियों में वर्णन पूरे दिए, चूके नहीं। यह उनके उपन्यास और कहानियों दोनों को जोड़ता है। 'फूलो का कुर्ता' उनके विवरणों का रूप है। सूत्रों से पता लगता है क्या कह रहे हैं। भाषा केवल सामयिक ही हो सकती है। कविता में लेखक आने वाली भाषा को पकड़ सकता है। लेकिन कथा में केवल प्रचलित भाषा में ही विवरण दिया जा सकता है। भविष्य का समाज महत्त्वपूर्ण होता है, भाषा नहीं। यशपाल ने एक जड़बद्ध पतनशील, भविष्यहीन समाज को अपनी कहानियों में दिखाया है। अपने समकालीन कहानीकारों के कलारूप से यशपाल ने एकदम अलग कलारूप दिया है। पुरानी भाषा में समाज के सातत्व को जीवित रखा है। यशपाल ने अपनी क़रीब-क़रीब सभी कहानियों में अपने युग-सत्य की पूरी और सही तस्वीर पेश की। निर्ममतापूर्वक इस संग्रह की अधिकांश कहानियों को पढ़ते हुए ऐसा नहीं लगता कि ये किसी गुजरे ज़माने की कहानियाँ हैं, कि इन कहानियों से हमें किसी बीते युग के रूढ़िग्रस्त, आतंक में छटपटा रहे समाज की मानसिकता अथवा प्रवृत्तियों की जानकारी मिल रही है। इनको पढ़ते हुए हमेशा यही आभास होने लगता है कि ये आज भी उतनी ही ताज़ा हैं, जितनी कि यशपाल के जीवन काल में लगती रही होंगी। यही मुख्य अन्तर है इस संग्रह की कहानियों और उनकी अन्य कहानियों में। लेकिन उस ताज़गी का कारण सिर्फ़ यशपाल की लेखनी का कमाल नहीं। उसका प्रमुख कारण है इन पहाड़ों के सामाजिक जीवन में तब से अब तक स्थायी भाव से लगातार क़ायम रहने वाला एक ठहराव।

हमारे युग के जिस महान लेखक ने अपनी तमाम रचनाएँ दूसरों से बोल कर लिखवायी, वह नये लेखकों की रचनाओं पर, उनके एक-एक वाक्य व शब्द पर अपनी मेधा व ऊर्जा खपाता रहता था। यशपाल ने न जाने मेरे जैसे कितने नौसिखुओं को उँगली पकड़ कर लिखना सिखाया।

सोचता हूँ कि आज अगर वे स्वयं जीवित होते तो इस संग्रह के बारे में उनकी क्या प्रतिक्रिया होती?

- विद्यासागर नौटियाल

यशपाल (Yashpal)

यशपाल

show more details..

My Rating

Log In To Add/edit Rating

You Have To Buy The Product To Give A Review

All Ratings


No Ratings Yet

E-mails (subscribers)

Learn About New Offers And Get More Deals By Joining Our Newsletter