Laut Kar Aana Nahin Hoga

Hardbound
Hindi
9788170559375
3rd
2024
264
If You are Pathak Manch Member ?

“हिन्दी में संस्मरणों को गम्भीरता से नहीं लिया जाता । संस्मरण हिन्दी की ओ.बी. सी. विधा मानी जाती है। उसे उस लेखक का लेखन माना जाता है जो चुक गया है, जो अपने अतीत को गरिमा मंडित करना चाहता है, जो दूसरों से अपनी लगी का हिसाब चुकाना चाहता है और जो संस्मरणों की गेंडी पर चढ़कर दूसरों से कुछ ज्यादा आदमकद दिखाना चाहता है। हिन्दी में एक शब्द बड़ा प्रचलित है-प्रातः स्मरणीय। प्रातः स्मरणीयों की बुराइयाँ, उनकी कमियाँ, उनके ऐब देखने या दिखाने का रिवाज़ हमारे यहाँ नहीं है। और जो जीवित हैं, उन पर संस्मरण लिखना व्यावहारिक नहीं माना जाता। इसलिए मरे हुओं के बारे में, जीवितों के बारे में सच बोलने की हमारे यहाँ सख़्त मुमानियत है। 'सत्यं ब्रूयात प्रियं ब्रूयात न ब्रूयात सत्यमप्रियम्' के सुभाषित का संस्मरण लेखन में बड़े नेम धरम से पालन किया जाता है। मैंने अपने संस्मरणों में इस सुभाषित का रौब नहीं माना। जीवितों को भी याद किया, और दिवंगतों को भी। जीवितों को इसलिए कि यदि मैं झूठ बोल रहा होऊँ तो कोई भी काला कौआ मुझे काट ले। दिवंगत तो खैर न कुछ सुनते हैं, न कुछ पढ़ते हैं। इन संस्मरणों ने मेरे कुछ मित्रों को भूतपूर्व की श्रेणी में डाल दिया है। कुछ को इन संस्मरणों में मेरी भावभंगी मेरा भंगीभाव लगा है। भंगीभाव से मैं इनकार नहीं करूँगा।"

इसी पुस्तक की भूमिका से

कान्तिकुमार जैन (Kanti Kumar Jain )

कान्तिकुमार जैन  नौ सितम्बर, 1932 को सागर (म.प्र.) के देवरीकलां में जन्मे कान्तिकुमार जैन ने कोरिया (छत्तीसगढ़) के बैकुंठपुर से 1948 में मैट्रिक करने के बाद उच्च शिक्षा सागर विश्वविद्यालय में प्राप

show more details..

My Rating

Log In To Add/edit Rating

You Have To Buy The Product To Give A Review

All Ratings


No Ratings Yet

E-mails (subscribers)

Learn About New Offers And Get More Deals By Joining Our Newsletter