Khanabadoshiyan

Hardbound
Hindi
9789355180018
1st
2022
96
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ख़ानाबदोशियाँ -
सैलानी और यात्रा में अन्तर होता है। सैलानी की रुचि स्थानों को देखने में होती है, किन्तु यात्राी की रुचि व्यक्तियों को जानने-समझने में होती है, क्योंकि वे जानते हैं कि नगर का विकास नागरिकों का विकास नहीं होता, वे नागरिक ही होते हैं, जिनके मन, मस्तिष्क और हृदय में संस्कृति-सभ्यता के फूल ही नहीं उनका मूल भी होता है। प्रिय पंकज को जितना जानता हूँ, उससे यह कह सकता हूँ कि वह सैलानी नहीं, बल्कि एक यात्राी हैं, जो शब्द ही नहीं स्पन्दन भी सुन, समझ लेते हैं। मुझे विश्वास है कि यह यात्रा- वृत्तान्त पाठकों को संसार से जोड़ने, उसे समझने में सहायक होगा। शिवसंकल्पमस्तु। -आशुतोष राना

पंकज भार्गव (Pankaj Bhargava )

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