शायरी जिससे ज़ेहरा आपा की पहचान है, के अलावा उन्होंने टीवी ड्रामा सीरियलों और फिल्मों के लिए पटकथाएँ भी लिखी हैं। उनके दो सगे भाई और बहन भी टेलीविज़न उद्योग से जुड़े रहे हैं। उनकी बड़ी बहन फातिमा सुरैय्या बजिया एक मशहूर पटकथा लेखिका थीं और उनके भाई अनवर मक़सूद एक जाने-माने लेखक, व्यंग्यकार और टेलीविज़न होस्ट हैं। फिलहाल वे अपना वक्त कराची के अपने घर में बिताती हैं जो किताबों और पेंटिंग्स से भरा हुआ है, या फिर वे विदेशों में बसे अपने दो बेटों और दूसरे रिश्तेदारों के साथ वक्त गुज़ारने के लिए सफर करती रहती हैं। बहरहाल वे अपने घर पर रहें या दुनिया के किसी भी शहर में, किताबें और पढ़ना उनकी जिन्दगी की बड़ी ज़रूरतें हैं। जैसा कि अपनी नज़्म 'विस' में वे लिखती हैं :
पीछे मुड़ कर देख रही हूँ
क्या-क्या कुछ विर्सा में मिला था
और क्या कुछ मैं छोड़ रही हूँ
- डॉ. रख़्शंदा जलील
रख़्शंदा जलील (Rakhshanda Jalil )
रख़्शंदा जलील रख़्शंदा जलील लेखक, अनुवादक, आलोचक और साहित्यिक इतिहासकार हैं। इनके अनेक अनुवाद संकलन, बौद्धिक आलेख व पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। इन्होंने 'प्रोग्रेसिव राइटर्स मूवमेंट एज़ रि
ज़ेहरा निगाह सन् 1936 में भारत के हैदराबाद में जन्मीं और सन् 1947 में वह अपने परिवार के साथ पाकिस्तान चली गयीं। उन्होंने काफ़ी कम उम्र से मुशायरों में अपनी कविताएँ सुनाना शुरू कर दिया था, जो उस समय