‘हाईवे 39’ का कथानक नाटकीय के साथ-साथ यथार्थ के धरातल पर भी उतना ही गहरे रूप से जुड़ा हुआ है। वास्तविक अर्थों में और गहरे जाकर उसका अनुशीलन किया जाय तो यह द्वन्द्व, दुविधा, कशमकश, ऊहापोह से लिपटा-सिमटा ऐसा कथानक है जो भ्रम के आवरण को छाँट कर यथार्थबोध की स्थापना करता है और अन्ततोगत्वा जिसका उद्देश्य है सत्य और झूठ का विभेदीकरण। यथार्थबोध इस आधुनिक या तथाकथित उत्तर-आधुनिक युग का सबसे बड़ा रूप है जो प्रत्यक्ष रूप से व्यक्ति के अस्तित्व और अस्मिता से जुड़ा है।
-प्रकाशकीय से
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