बसन्त चौधरी की सृजन-प्रतिभा के दर्शन मुझे दिल्ली में तब हुए थे, जब मैं उनके ग़ज़ल संग्रह के लोकार्पण-उत्सव में सम्मिलित हुआ था। एक बहुत संवेदनशील कवि के रूप में मैंने श्री बसन्त चौधरी को वहाँ देखा था और पूर्ण हृदय से उन्हें सराहा भी था। मेरा मानना है कि वे माँ सरस्वती के सच्चे साधक हैं। उनके शीघ्र प्रकाशित होने वाले काव्य-संग्रह ‘अनेक पल और मैं' के लिए मैं अपनी अनन्त मंगलकामनाएँ देता हूँ। -डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक' केंद्रीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार, नई दिल्ली (भारत) / भारत और नेपाल के सांस्कृतिक, धार्मिक, आध्यात्मिक और साहित्यिक सम्बन्ध अनादि काल से प्रगाढ़ रहे हैं। यही कारण है कि यदा-कदा राजनीतिक मतभेदों के बावजूद दोनों ही देशों के आम जनमानस के आपसी भाईचारे और सामाजिक सरोकारों में सदियों से कोई विशेष नहीं पड़ा है। राजस्थान मूल के नेपाली वरिष्ठ कवि बसन्त चौधरी ने अपनी इन हिंदी कविताओं में एक ओर जहां स्वयं के जिए-भोगे हुए यथार्थ को, प्रेम, विरह, सुख-दुख को व्यक्त किया है, वहीं दूसरी ओर उनके अंत:करण में प्रवाहित मानवीय संवेदनाओं, भावनाओं और प्रकृति प्रेम की करुण सलिला भी शब्द रूप में बाहर आ रही है। मुझे आशा है कि हिन्दी पाठकों को ये कविताएँ पसंद आएंगी और साहित्य जगत में चर्चित होंगी। ‘अनेक पल और मैं' के प्रकाशन पर बधाई एवं शुभकामनाएँ ।
-कमल किशोर गोयनका
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