Mughal Shahzada Khusroo Nek Niyati Sharafat Aur Badnasibi Ki Dastan

Hardbound
Hindi
9789352294121
1st
2016
300
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मुग़ल-इतिहास अपने-आप में दिलचस्प, आकर्षक और महत्त्वपूर्ण है किन्तु इसके आकर्षण और दिलचस्पी के साथ सत्ता-संघर्ष के षड्यन्त्रों एवं इनके रहस्योद्घाटन के चलते इसका आकर्षण दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही रहा है। मुग़ल साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक और उसे एक मुहावरे का रूप और समृद्ध व सद्भाव साम्राज्य का दर्जा देने वाले अकबर ने कभी किसी क्षण में विवश होकर अपने पुत्र, सलीम (जहाँगीर) के स्थान पर अपने पौत्र, खुसरू के माध्यम से अपने द्वारा स्थापित मुग़ल संस्कृति और विरासत की सुदृढ़ता, समृद्धि और निरन्तरता बनाये रखने के लिए ऐसा सोचा था किन्तु उसी ने पिता को पुत्र का कट्टर शत्रु बना दिया! सत्ता की अमिट चाह, फिर प्रेम, ईर्ष्या, सत्ता-संघर्ष का एक लम्बा दौर खुसरू की हत्या के साथ समाप्त होता है। इसमें जहाँगीर, नूरजहाँ और शाहजहाँ के पारस्परिक सम्बन्धों और समीकरणों से उपजी राजनीतिक अस्थिरता का विश्लेषण है तो कहीं न कहीं उपन्यासकार ने मुग़ल साम्राज्य के पतन की मूलभूत प्रवृत्तियों को भी रेखांकित करने में सफलता अर्जित की है!

हेरम्ब चतुर्वेदी (Heramb Chaturvedi )

हेरम्ब चतुर्वेदी हेरम्ब चतुर्वेदी का जन्म 31 दिसम्बर, 1955 को इंदौर में हुआ था ! उनकी प्रारंभिक से उच्च शिक्षा सब, इलाहबाद में संपन्न हुई ! इलाहबाद विश्व विद्यालय से 1976 में बी.ए. तथा 1978 में एम्.ए. प्रथ

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