उत्तरी यूरोप के आधुनिक उपन्यासकारों की अव्वल श्रेणी में रखे जाने वाले थारयै वेसोस का उपन्यास परिन्दे उनकी अत्युत्कृष्ट कृति मानी जाती है। परिन्दे माट्टिस नामक एक ऐसे शख्स की कहानी है जो अपनी मानसिक विशिष्टता के चलते पूरे कथानक में अनजाने में ही ज़िन्दगी के सबसे अहम सवाल पूछता चला जाता है। झील के क़रीब एक कॉटेज में अपनी कामगार बहन हेगे के साथ रहते हुए वह एक दिन अपनी नाव में एक अजनबी लकड़हारे को बिठाकर घर लिवा लाता है। आगन्तुक योर्गेन और हेगे की प्रेम कहानी माट्टिस के लिए अप्रत्याशित स्थितियों का सबब बनती चली जाती है। वेसोस का शायद ही कोई अन्य पात्र लेखक के स्नेह और ममत्व से इस क़दर घिरा हुआ हो। वेसोस ने माट्टिस को सबसे अधिक समझा भी है - माट्टिस जो रोज़मर्रा की परिस्थितियों में एकदम निरीह और निरुपाय है, लेकिन जो तथाकथित चतुर-सुजान लोगों की तुलना में चीज़ों को कहीं अधिक गहराई से समझता है। प्रकृति उसके लिए कई रहस्यों को उदारता से प्रकट करती है। वह पक्षियों की भाषा समझता है और वन-कुक्कुट द्वारा चोंच से लिखे हुए सन्देशों को पढ़ सकता है। पक्षियों के लिखे सन्देश 'प्रिक्क प्रिक्क प्रिक्क' से माट्टिस ने अनजाने में ही वेसोस के पाठकों के लिए एक सहज और स्नेहिल भाषा का आविष्कार भी - कर डाला है जिसे नॉर्वे में सब अच्छे से समझते हैं ।
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