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प्रस्तुत पुस्तक में हिन्दी के बारह कहानीकार हैं, एक कहानी बंगला से अनूदित है और आठ कहानियाँ पाश्चात्य भाषाओं से ली गयी हैं। जर्मन, फ्रेंच, रूसी, अंग्रेज़ी और स्पेनिश भाषा में लिखी कहानियों के अनुवाद प्रेम और मानव के विभिन्न पक्षों को दिखलाते हैं। तड़प, वेदना, वियोग, समर्पण, लव एट फर्स्ट साइट सभी प्रभावित करते हैं। इस प्रकार शरतचन्द्र की कहानी 'अनुपमा का प्रेम' एक ओर तो रोमांटिक विचारधारा पर व्यंग्य है तो दूसरी ओर हृदय की भाषा की श्रेष्ठता को भी इंगित करती है जहाँ प्रेम वास करता है। अनुवाद सुन्दर और सहज है और उनकी भाषा आधुनिक हिन्दी ही है। हिन्दी की कहानियों में बिम्बों, प्रतीकों, वर्गगत पात्रों की चिन्तन प्रक्रिया, प्रेम की मानवीयता, व्यक्तिगत वेदना से उत्पन्न दूसरों के कष्टों के निवारण की चेष्टा का वर्णन है। फणीश सिंह ने एक विशिष्ट सम्पादकीय कुशलता दिखलाई है। उनकी दृष्टि विलक्षण है और लोक कल्याण से परिपूर्ण है जो कहानियों के संकलन से स्पष्ट है। डॉ. प्रो. शैलेश्वर सती प्रसाद
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