Kuchh Pal Sath Raho...

Hardbound
Hindi
9788181433060
3rd
2021
116
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प्रेम, मृत्यु, कलकत्ता, निःसंगता - मेरे प्रिय विषय इस संग्रह में शामिल हैं। सब कुछ की तरह, अब प्रेम भी कहीं और ज़्यादा घरेलू हो गया है। ये कविताएँ मैंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय में पूरे साल भर रहने के दौरान, कैम्ब्रिज, मैसाचुसेट्स में बैठकर लिखी हैं। कविता लिखने में, मैंने साल भर नहीं लगाया, जाड़े का मौसम ही काफ़ी था। इन्हें कविता भी कैसे कहूँ; इनमें ढेर सारे तो सिर्फ़ ख़त हैं । सुदूर किसी को लिखे गये, रोज-रोज के सीधे-सरल ख़त ! चार्ल्स नदी के पार, कैम्ब्रिज के चारों तरफ़ जब बर्फ ही बर्फ़ बिछी होती है और मेरी शीतार्त देह जमकर, लगभग पथराई होती है, मैं आधे सच और आधे सपने से, कोई प्रेमी निकाल लेती हूँ और अपने को प्यार की तपिश देती हूँ, अपने को जिन्दा रखती हूँ। इस तरह समूचे मौसम की निःसंगता में, मैं अपने को फिर जिन्दा कर लेती हूँ ।

और रही मृत्यु ! और है कलकत्ता ! निःसंगता! मृत्यु तो ख़ैर, मेरे साथ चलती ही रहती है, अपने किसी बेहद अपने का 'न होना' भी साथ-साथ चलता रहता है! हर पल साथ होता है! उसके लिए शीत, ग्रीष्म की ज़रूरत नहीं होती। कलकत्ते के लिए भी नहीं होती। निःसंगता के लिए तो बिल्कुल नहीं होती। ये सब क्या मुझे छोड़कर जाना चाहते हैं? वैसे मैं भी भला कहाँ चाहती हूँ कि ये सब मुझसे दूर जायें। कौन कहता है कि निःसंगता हमेशा तकलीफ ही देती है, सुख भी तो देती है।

सुशील गुप्ता (Sushil Gupta)

सुशील गुप्ता  लगता है, मैं किसी ट्रेन में बैठी, अनगिनत देश, अनगिनत लोग, उनके स्वभाव-चरित्र, उनकी सोच से मिल रही हूँ और उनमें एकमेक होकर, अनगिनत भूमिकाएँ जी रही हूँ। ज़िन्दगी अनमोल है और जब वह शुभ औ

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तसलीमा नसरीन (Taslima Nasrin)

तसलीमा नसरीन तसलीमा नसरीन ने अनगिनत पुरस्कार और सम्मान अर्जित किये हैं, जिनमें शामिल हैं-मुक्त चिन्तन के लिए यूरोपीय संसद द्वारा प्रदत्त - सखारव पुरस्कार; सहिष्णुता और शान्ति प्रचार के लिए

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