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शशि सहगल

शशि सहगल

2 अक्टूबर 1944 को लाहीर में जन्मी शशि सहगल एक कवयित्री, कथाकार और आलोचक के रूप में जानी जाती हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय के माता सुन्दरी कॉलेज में लगभग पैंतीस वर्षों तक अध्यापन ।

आपकी प्रमुख कृतियाँ हैं: कविता लिखने की कोशिश में, टुकड़ा-टुकड़ा वक़्त, मौन से संवाद और कवि के मन से (कविता-संग्रह); नयी कविता में मूल्य-बोध, घनानन्द का रचना-संसार, रीतिमुक्त कवि घनानन्द, अन्वेषक : एक माडर्न क्लासिक, साहित्य : विविध विधाएँ, साहित्य विधाएँ (आलोचना); मेरे साइयाँ जियो-भाई वीर सिंह, पब्बी-प्रभजोत कौर (अनूदित कविता-संग्रह); नानक सिंह की चुनिन्दा कहानियाँ, मोहिन्दर सिंह सरना की चुनिन्दा कहानियाँ, करतार सिंह दुग्गल की चुनिन्दा कहानियाँ, गुरु गोविन्द सिंह-गोपाल सिंह, पंजाबी प्रवासियों की कहानियाँ (कहानी-संग्रह); मिर्ज़ा साहिबा-बलवन्त गार्गी, यूँ बनी महाभारत-प्रताप सहगल (नाट्यानुवाद); काव्य परिमल (सम्पादन)। इनके अलावा विभिन्न विधाओं की पुस्तकों में कई रचनाएँ शामिल ।

आप साहित्य अकादेमी, केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय, राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, एनसीईआरटी, हरियाणा साहित्य अकादमी, आदिवासी भाषा संस्थान, आकाशवाणी एवं दूरदर्शन सहित देश के अनेक प्रतिष्ठित संस्थानों द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में मुख्य वक्ता और कविता-पाठ के लिए आमन्त्रित की जाती रही हैं। केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय की पुरस्कार समिति और दूरदर्शन द्वारा गठित फ़िल्मों के प्री-रिव्यू सलाहकार समिति की दो वर्षों के लिए सदस्य भी रह चुकी हैं।

'शिवप्यारी देवी अवस्थी साहित्य सम्मान' सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित हैं।

वर्तमान में दिल्ली में निवास और स्वतन्त्र लेखन।