इस्मत चुग़ताई
इस्मत चुगताई (1912-1992) उर्दू कथा साहित्य में अपनी बेबाक अभिव्यक्ति के लिए अलग से जानी जाती हैं। उनकी कृतियों में मानवीय करुणा और सक्रिय प्रतिरोध का दुर्लभ सामंजस्य है जिसकी बिना पर उनकी सर्जनात्मक प्रतिमा की एक विशिष्ट पहचान बनती है। इस्मत चुगताई शुरुआत से ही प्रगतिशील साहित्यांदोलन से जुडी रहीं और जब जरूरत हुई, उन्होंने कंधे से कंधा मिलाकर काम किया लेकिन कभी खुद को तरक्की पसन्द कहलाने का आग्रह नहीं किया। आन्दोलन के पहले उभार के दौरान प्रगतिशील लेखकों के उर्दू मुख-पत्र ‘नया अदब’ में प्रकाशित उनकी कहानियों के जरिए प्रगतिशील कथालेखन का एक नया रुजहान सामने आया। उन्होंने प्रगतिशील कथा-आलोचना के प्रतिमानों के सामने चुनौती खड़ी कर दी।