Dr. Rajendra Prasad

डॉ. राजेंद्र प्रसाद 

गांधी युग के अग्रणी नेता देशरत्न राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर, 1884 को बिहार के सारण जिला के ग्राम जीरादेई में हुआ। आरंभिक शिक्षा जिला स्कूल छपरा तथा उच्च शिक्षा प्रेसिडेंसी कॉलेज कलकत्ता में । अत्यंत मेधावी एवं कुशाग्र-बुद्धि छात्र, एंट्रेंस से बी.ए. तक की परीक्षाओं में विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त, एम.एल. की परीक्षा में पुनः प्रथम श्रेणी में प्रथम स्थान प्राप्त। 1911 में वकालत प्रारंभ, पहले कलकत्ता और फिर पटना में प्रैक्टिस।

छात्र-जीवन से ही सार्वजनिक एवं लोक-हित के कार्यों में गहरी दिलचस्पी । बिहारी छात्र सम्मेलन के संस्थापक । 1917-18 में गांधीजी के नेतृत्व में गोरों द्वारा सताए चंपारण के किसानों के लिए कार्य। 1920 में वकालत त्याग असहयोग आंदोलन में शामिल । संपूर्ण जीवन राष्ट्र को समर्पित, कांग्रेस संगठन तथा स्वतंत्रता संग्राम के अग्रवर्ती नेता । तीन बार कांग्रेस अध्यक्ष, अंतरिम सरकार में खाद्य एवं कृषि मंत्री, संविधान सभा अध्यक्ष के रूप में संविधान-निर्माण में अहम भूमिका । 1950 से 1962 तक भारतीय गणराज्य के राष्ट्रपति। प्रखर चिंतक, विचारक तथा उच्च कोटि के लेखक एवं वक्ता। देश-विदेश में अनेक उपाधियों से सम्मानित, 13 मई, 1962 को 'भारत रत्न’ से अलंकृत ।

सेवा-निवृत्ति के बाद पूर्व कर्मभूमि सदाकत आश्रम, पटना में निवास । जीवन के अंतिम समय तक देश एवं लोक-सेवा के पावन व्रत में तल्लीन।

स्मृतिशेष : 28 फरवरी, 1963।

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