Bhuvaneshwar

भुवनेश्वर

भुवनेश्वर का जन्म उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर ज़िले में 1910 ई. में हुआ था। उनके पिता का नाम ओंकार बख्श था। अभी भुवनेश्वर डेढ़ साल के ही थे तभी उनकी माता का देहान्त हो गया। उनके लालन-पालन की ज़िम्मेदारी उनकी सौतेली माता पर आ गयी। यहाँ से उनके दुखद जीवन की शुरुआत हुई। अभावों से भरी ज़िन्दगी और परिवार में उपेक्षित जीवन ने उनके व्यक्तित्व को सामान्य नहीं रहने दिया। यद्यपि भुवनेश्वर को अपने चाचा महामाया प्रसाद से काफ़ी स्नेह मिला, लेकिन वह उनके घावों को भरने के लिए नाकाफ़ी था। जब भुवनेश्वर चौदह वर्ष के थे, तभी उनके चाचा का भी देहान्त हो गया। आर्थिक अभाव और परिवार में उपेक्षित महसूस करने वाले भुवनेश्वर को आख़िरकार घर छोड़ना पड़ा।

उनकी प्रारम्भिक शिक्षा शाहजहाँपुर में हुई। इंटरमीडिएट तक की शिक्षा उन्होंने बरेली में प्राप्त की । उच्च शिक्षा के लिए वे इलाहाबाद आ गये। साहित्य में उनकी गहरी रुचि थी। यद्यपि वे मेधावी छात्र थे, लेकिन पाठ्य पुस्तकों में उनका मन कम ही रमता था । अपने छात्र जीवन में ही उन्होंने हिन्दी के अलावा अंग्रेज़ी और उर्दू साहित्य का पर्याप्त अध्ययन कर लिया था ।

उनकी आरम्भिक रचनाएँ प्रेमचन्द की पत्रिका 'हंस' में प्रकाशित हुईं। उनका सम्बन्ध प्रेमचन्द से भी रहा। कुछ अर्से तक वे 'प्रगतिशील लेखक संघ' से भी जुड़े रहे। पढ़ाई छोड़ने के बाद उन्होंने इलाहाबाद और लखनऊ को अपना कार्यक्षेत्र बनाया। रोटी कमाना उन्हें शायद जीवन का सबसे कठिन और नीरस काम लगता था। उनके विषय में फैली कई तरह की बातों ने उन्हें मशहूर बनाया। वे एक-साथ ही आवारा, जीनियस, पागल सभी समझे जा रहे थे। मृत्यु से लगभग दो साल पूर्व उनकी मानसिक अवस्था अत्यन्त चिन्तनीय हो गयी। 1957 ई. में बनारस की एक धर्मशाला में वे मृत पाये गये। भुवनेश्वर की मृत्यु एक बेचैन जीवन का त्रासद अन्त था ।

E-mails (subscribers)

Learn About New Offers And Get More Deals By Joining Our Newsletter