Dr. Ashwinikumar Shukla
डॉ. अश्विनीकुमार शुक्ल
17 अक्टूबर, 1963 ई. को फतेहपुर (उ.प्र.) में जन्मे डॉ. अश्विनीकुमार शुक्ल लगभग 23 वर्षों से उच्च शिक्षा में हिंदी साहित्य और भाषा के संवर्द्धन हेतु शोध-निर्देशन सहित प्राध्यापकीय-कर्म में लगे हुए हैं। इसके पूर्व डॉ. शुक्ल भारतीय वायु सेना में 17 वर्षों से अधिक समय तक अभियांत्रिक पद पर रहे हैं। उच्च शिक्षा-जगत में ये अपनी अध्यापन-कला व शैली के साथ ही अपनी प्रशासनिक क्षमताओं के लिए भी जाने जाते हैं। कविर्मनीषी डॉ. शुक्ल सुविख्यात आलोचक, गद्यकार और संपादक भी हैं। अपने स्व. पिता कविवर पं. चंद्रशेखर की तरह ही वे महत्त्वाकांक्षी नहीं हैं, इसीलिए आत्मप्रचार से दूर रहते हुए बिना किसी छपास के हिंदी की सेवा में समर्पण के साथ तत्पर हैं।
हिंदी - जगत में प्रतिष्ठित पत्रिकाओं वाग्धारा, वाग्प्रवाह, नूतनवाग्धारा, विकल्प, मधुराक्षर आदि के माध्यम से पत्रकारिता-जगत में अपनी विशिष्ट पहचान रखने वाले डॉ. शुक्ल राष्ट्रीय स्तर के कुछ संस्थानों द्वारा सम्मानित पुरस्कृत किए जा चुके हैं। तीन पाठ्य पुस्तकें, तीन आलोचना-संदर्भ-ग्रंथ, कुछ संपादित ग्रंथ, पंद्रह पुस्तक अध्याय और 50 से अधिक इनके शोधपत्र प्रकाशित हो चुके हैं। डॉ. शुक्ल शताधिक सम्मेलनों, सभाओं, संगोष्ठियों एवं कार्यशालाओं सहित अतीत में आकाशवाणी के जोधपुर (राजस्थान) केंद्र से और वर्तमान में छतरपुर (मध्य प्रदेश) केंद्र से जुड़े हैं।
संप्रति ये बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झाँसी से संबद्ध 1964 ई. में स्थापित गौरवशाली पं. जवाहरलाल नेहरू महाविद्यालय, बाँदा (उ.प्र.) के हिंदी विभाग व शोधकेंद्र के अध्यक्ष हैं। इनका स्थायी निवास फतेहपुर नगर में है।