Abdul Wakil Sulamal Shinwari
अब्दुल वकील सोलामल शिंवारे
अब्दुल वकील सोलामल शिंवारे का जन्म अफ़ग़ानिस्तान के नंगरहार प्रान्त के हस्कामेना नामक स्थान पर हुआ। इन्होंने अपनी प्रारम्भिक तथा माध्यमिक शिक्षा जलालाबाद में प्राप्त की और फिर उच्च शिक्षा के लिए सोवियत गणराज्य भेजे गये, जहाँ इन्होंने एम.ए. की शिक्षा पूरी की व 1988 में स्वदेश लौट आये और अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रीय रक्षा मन्त्रालय के विभिन्न संस्थानों में बतौर शिक्षक कार्यभार सँभाला। 1994 में पेशावर (पाकिस्तान) चले गये तथा स्वतन्त्र अफ़ग़ानिस्तान लेखक संघ के मुखपत्र WUFA में सम्पादकीय विभाग में कार्य करने लगे। 1995 पेशावर से स्लोवाकिया स्थानान्तरण किया, जहाँ 2007 तक रहे। तत्पश्चात् ब्रिटेन चले गये और अब तक वहीं रह रहे हैं।
वकील सोलामल शिंवारे ने राजनीति एवं साहित्य जैसे गम्भीर विषयों पर अनेक शोधपत्र व लेखादि लिखे जिन्हें अफ़ग़ान विषयों से सम्बन्धित देशी व विदेशी पत्र-पत्रिकाओं में महत्त्वपूर्ण स्थान दिया गया। वकील सोलामल को अपनी मातृभाषा पश्तो के अतिरिक्त फ़ारसी, रूसी और स्लोवाक भाषाओं पर पूरा अधिकार है।
लघु-कथाओं के अतिरिक्त इन्होंने लघु एवं दीर्घावधि रेडियो-टी.वी. सीरियल तथा ड्रामे भी लिखे हैं। सांस्कृतिक, राजनीतिक, नशा एवं नशीले पदार्थ कुछ ऐसे विषय हैं जिन पर शिंवारे के लेखों को अपार सफलता मिली है।
इनके प्रकाशित संग्रहों में 'जड़ा क़ला' (पुरानी हवेली), 'पञ्जोस मिलियना' (पचास मिलियन) तथा 'रजूरे हिले' (बीमार आशाएँ) उल्लेखनीय हैं। इन सभी का अनुवाद फ़ारसी, उर्दू एवं अंग्रेज़ी भाषाओं में हो चुका है।
सोलामल शिंवारे आजकल सिनेरियो और एक उपन्यास लेखन में व्यस्त हैं। पश्तो साहित्य में अमूल्य सेवाएँ देने वाले सोलामल शिवारे सार्क लेखक संघ के सक्रिय सदस्य हैं और इन्हें इस संस्था द्वारा पुरस्कृत भी किया जा चुका है।