Manjar Ali Sokhta

मंज़र अली सोख़्ता

मंज़र अली सोख़्ता का जन्म सन् 1884 में बदायूँ में हुआ था। पिता शेख़ मुबारक अली मोतीलाल | नेहरू के मुंशी थे। इलाहाबाद में पढ़ाई। म्योर सेंट्रल कॉलेज से एम.ए.। एल.एल.बी. की पढ़ाई भी | साथ-साथ की। सन् 1908 में एल.एल.बी. पास कर लिया। एल.एल.बी. करने के बाद 'इलाहाबाद लॉ | जर्नल' में रिपोर्टिंग की। 1914 में वकालत शुरू की। वकालत के साथ-साथ स्वतन्त्रता आन्दोलन में | भी सक्रिय थे। उत्तर प्रदेश में होमरूल लीग की स्थापना। पं. सुन्दरलाल, पं. जवाहरलाल नेहरू और मंज़र अली सोख्ता को संयुक्त मन्त्री बनाया गया। असहयोग आन्दोलन में भी सक्रिय । गांधी के साथ | यरवदा जेल में बन्द । गांधी को वहीं पर उर्दू सिखायी। गांधी के आह्वान 'भारत छोड़ो आन्दोलन' में । भी भाग लिया। उन्नाव, नैनी, बरेली जेल में बन्द रहे। हिन्दू-मुस्लिम साम्प्रदायिकता को लेकर वे हमेशा । जूझते रहे। कानपुर में 1931 के भयंकर दंगे के बाद उसकी जाँच और समाधान के लिए जो कमेटी | बनी, उसमें डॉ. भगवान दास के साथ मौलाना ज़फ़रुल हक़ अलवी, बाबू पुरुषोत्तमदास टण्डन, मंज़ | अली सोख्ता, सुन्दरलाल और अब्दुल लतीफ़ बिजनौरी भी थे। कानपुर के पास सेवा-आश्रम में रहे। यहीं पर साठ के दशक में निधन ।

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