Narmada Prasad Upadhyaya

नर्मदा प्रसाद उपाध्याय

30 जनवरी 1952 को पावन नर्मदा तट पर अवस्थित हरदा नगर में जन्मे श्री नर्मदा प्रसाद उपाध्याय विगत लगभग 50 वर्षों से साहित्य, कला तथा संस्कृति के विभिन्न अनुशासनों के अध्ययन व उनसे जुड़े विभिन्न विषयों पर सर्जनात्मक रूप से सक्रिय हैं। वे वाणिज्यिक कर विभाग के विभिन्न पदों पर 40 वर्षों तक कार्यरत रहकर वर्ष 2015 में सदस्य, मध्य प्रदेश वाणिज्यिक कर अपील बोर्ड के पद से सेवानिवृत्त हुए। वे हिन्दी के प्रतिष्ठित ललित निबन्धकार, समीक्षक, संस्कृतिविद् तथा कला इतिहासकार हैं। कला इतिहासकार के रूप में उनकी अन्तरराष्ट्रीय ख्याति है। प्रख्यात साहित्यकार तथा संस्कृतिविद् डॉ. विद्यानिवास मिश्र तथा ख्यात कलाविद् डॉ. हर्ष दहेजिया के साथ उन्होंने अनेक कृतियों के कला पक्ष पर लेखन किया है। देश तथा विदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों, संग्रहालयों तथा कलावीथिकाओं में उन्होंने व्याख्यान व प्रस्तुतीकरण दिये हैं।

कला भूषण, राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान, महापण्डित राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार, राष्ट्रीय महात्मा गांधी सम्मान, श्री नरेश मेहता वांग्मय सम्मान, हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ प्रकाशन का राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार (माननीय उपराष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत), कुबेरनाथ राय राष्ट्रीय पुरस्कार, लोकनायक जयप्रकाश नारायण स्मृति सम्मान जैसे सम्मानों व पुरस्कारों सहित उन्हें ब्रिटिश काउंसिल, शिमेंगर लेडर व धर्मपाल शोधपीठ की फैलोशिप भी मिली हैं। गेयर-एण्डरसन संग्रहालय, लेवेनहेम (यू.के.), नैशनल गैलेरी ऑफ़ ऑस्ट्रेलिया, कैनबरा तथा सियोल विश्वविद्यालय की ओर से सम्मानित श्री उपाध्याय के ललित निबन्ध संग्रह - एक भोर जुगनू की (1993), अँधेरे के आलोक पुत्र (1994), नदी तुम बोलती क्यों हो ? (1996), फिर फूले पलाश तुम (1996), सुनो देवता (1997), बैठे हैं आस लिए (1998), प्रभास की सीपियाँ (1999), परदेस के पेड़ (2004), अस्ताचल के सूर्य (2006), रस पुरुष-पं. विद्यानिवास मिश्र (2010), तुम नहीं दिखे नगाधिराज (2012), जुग जुग जीवै जम्भ लुहारु (भगवान जम्भेश्वर का जीवन दर्शन) (2015), आस्था और अमृत (2016), चिनगारी की विरासत (2019), परछाई का सच (2020), बिन गाये गीत (2022) हैं। अनूदित ग्रन्थ : गंगातट से भूमध्यसागर तक (2013) - (स्पेनिश दार्शनिक डॉ. रॉफेल आर्गुलाई तथा डॉ. विद्यानिवास मिश्र के मध्य हुआ संवाद), पारूल (उपन्यास) (2016) हैं।

सम्पादित ग्रन्थ : समान्तर लघुकथाएँ (1977), नरेन्द्र कोहली : व्यक्तित्व एवं कृतित्व (1984), Sur : A Reticent Homage (2003), गीतगोविन्दम् THE SONGS OF RADHA-GOVINDA (2014), लोक और शास्त्र : अन्वय और समन्वय (2015), फिर आना (प्रेमशंकर रघुवंशी पर एकाग्र) (2018) हैं।

भारतीय कला तथा कला और साहित्य के विभिन्न अनुशासनों के बीच अन्तसंबंधों पर केन्द्रित उनकी 25 से अधिक हिन्दी और अंग्रेज़ी में कृतियाँ हैं जिनमें प्रमुख हैं : राधा माधव रंग रंगी-गीतगोविन्द की सरस व्याख्या (1997) (डॉ. विद्यानिवास मिश्र के साथ), रामायण का काव्य मर्म (2001) (डॉ. विद्यानिवास मिश्र के साथ), भारतीय चित्रांकन परम्परा (2003), Kanheri Geet-Govinda, paintings in Kanheri style (Mapin Publishing, Ahemadabad, Simaltaneously Published from USA) (2006), पार रूप के (2009), जैन चित्रांकन परम्परा (आहोर कल्पसूत्र के विशेष सन्दर्भ में) (2012), Radha from Gopi to Goddess (with Dr. Harsh Dehejia) (2014), Paintings of Bundelkhand-Some Remembered, Some Forgotten, Some not yet Discovered (with Dr. Harsh Dehejia) (2016), मालवा के भित्तिचित्र (2018) -कोश स्तरीय कार्य, भारतीय कला दृष्टि : हिमालय से हरिद्वार (2019), भारतीय कला के अन्तसंबंध (2020), बुन्देलखण्ड के भित्तिचित्र (2021) -कोश स्तरीय कार्य, नैनसुख (2022), सामाजिक, आर्थिक विकास और कला संस्कृति का पारस्परिक सम्बन्ध (भारतीय परिप्रेक्ष्य) (2022), राम अविराम (2023) हैं।

वर्तमान में वे साहित्य और कला से जुड़ी विभिन्न परियोजनाओं पर कार्य कर रहे हैं।

सम्प्रति : पूर्व सदस्य, वाणिज्यिक कर अपील बोर्ड, मध्य प्रदेश, 85, इन्दिरा गांधी नगर, पुराने आर.टी.ओ. के पास, केसरबाग रोड, इन्दौर (म.प्र.) 452 005

फोन : 0731-4095331 (निवास), मोबाइल: 094250-92893

ई-मेल : upadhyayanarmada@gmail.com

वेबसाइट : www.indianminiature.org

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