Rehman Abbas

रहमान अब्बास प्रमुख समकालीन उर्दू उपन्यासकार हैं। उनके चौथे उपन्यास रोहज़िन पर उन्हें साहित्य अकादेमी पुरस्कार वर्ष 2018 के लिए मिला अथवा उन्हें चार बार राज्य साहित्य अकादेमी पुरस्कार भी मिले हैं। जब उनका पहला उपन्यास प्रकाशित हुआ, तो कट्टरपन्थियों ने अश्लीलता फैलाने और धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया और उपन्यास के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया। मुम्बई में एक अल्पसंख्यक संस्थान में पढ़ाने के कारण उन्हें अपनी नौकरी से इस्तीफ़ा देने के लिए मजबूर होना पड़ा। रहमान ने दस साल से अधिक समय तक अदालत में मुक़दमा लड़ा और 2016 में अश्लीलता के आरोप से बरी हुए।

रहमान अब नौ पुस्तकों के लेखक हैं, जिनमें पाँच उपन्यास शामिल हैं। नखलिस्तान की तलाश (2004), एक ममनूआ मुहब्बत की कहानी (2009), ख़ुदा के साये में आँख मिचौली (2011), रोहज़िन (2016), और ज़िन्दीक (2021)। उनके उपन्यास निषिद्ध राजनीति, मैथुन और प्रेम के विषयों से सम्बन्धित हैं।

रोहज़िन का अनुवाद जर्मन और अंग्रेज़ी में हो चुका है। उपन्यास को स्विस और जर्मन सरकारों द्वारा प्रबन्धित प्रतिष्ठित 'लिटप्रोम ग्रांट भी मिल चुकी है। जर्मन अनुवाद पर फ़रवरी 2018 में, 'द डेज ऑफ़ इंडियन लिटरेचर' के अन्तर्गत स्विट्ज़रलैंड में चर्चा की गयी है, मई-जून 2018 में रहमान अब्बास ने पाठकों के साथ उपन्यास पर चर्चा करने के लिए जर्मनी के विभिन्न शहरों और यूनिवर्सिटीज का दौरा किया। रोहज़िन का अंग्रेजी अनुवाद पेंगुइन इंडिया ने मई 2022 में प्रकाशित किया, उपन्यास जेसीबी पुरस्कार के लिए नामांकित हुआ था।

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