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राजेश कुमार

राजेश कुमार

नुक्कड़ नाटक और हाशिये के लोगों के रंगमंच के पक्ष में तनकर खड़े रहने वाले राजेश कुमार का जन्म जनवरी, 958 को बिहार के पटना शहर में हुआ। ये भागलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रिकल ब्रांच में स्नातक हैं। ये जितना क्रान्तिकारी वामधारा से जुड़े हैं, उतना ही अम्बेडकर की समतामूलक विचारधारा से भी। युवा नीति, दिशा, दृष्टि, अभिव्यक्ति और धार जैसी नाट्य संस्थाओं के ज़रिये अपने समय के सांस्कृतिक-सामाजिक आन्दोलनों और वैकल्पिक रंगमंच खड़ा करने की दिशा में अहम भूमिका निभाते रहे हैं। कोई भी जन आन्दोलन हो, उत्पीड़ित समाज के पक्ष में सबसे अगली कतार में ये खड़े दिखते हैं।

ये नाटक लिखते हैं, अभिनय करते हैं और निर्देशन भी करते हैं। दो दर्जन से अधिक नुक्कड़ नाटक और लगभग उतने ही पूर्णकालिक नाटक अब तक लिख चुके हैं। उनमें जनतन्त्र के मुर्दें, जिन्दाबाद-मुदबिद, हमें बोलने दो, नुक्कड़ों पर, अम्बेडकर और गाँधी, गाँधी ने कहा था, घर वापसी, तफ़्तीश और सुखिया मर गया भूख से मंच पर ख़ूब खेले जाते हैं। ये नाटक लिखने और करने के साथ-साथ राजनीतिक-सामाजिक मुद्दों पर भी सक्रिय रहते हैं। यही कारण है कि इनके नाटकों में सामाजिक विषमताएँ, विडम्बनाएँ और परस्पर संघर्ष बहुत स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।

एक दर्जन प्राप्त पुरस्कारों में “उ.प्र. संगीत नाटक अकादमी”, “मोहन राकेश सम्मान” और “कारवाँ-ए-हबीब' प्रमुख हैं।

उ.प्र. पॉवर कारपोरेशन में 33 वर्ष नौकरी करने के बाद मुख्य अभियन्ता के पद से सेवानिवृत्त होकर आजकल नाटक के होलटाइमर रंगकर्मी हैं।

मो. : 9453737307, 639346460