Charu Gupta
चारु गुप्ता दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में प्रोफ़ेसर हैं। लन्दन के स्कूल ऑफ़ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज़ से पीएच.डी. । कई विश्वविद्यालयों और संस्थानों- शिकागो विश्वविद्यालय, रटगर्ज़ विश्वविद्यालय, येल विश्वविद्यालय, वाशिंगटन विश्वविद्यालय, हवाई विश्वविद्यालय, वियना विश्वविद्यालय, नेहरू स्मारक संग्रहालय और पुस्तकालय (दिल्ली), सोशल साइंस रिसर्च काउंसिल (न्यूयॉर्क), एशियन फाउंडेशन (थाइलैंड), वेलकम इंस्टीट्यूट (लन्दन) और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में पठन-पाठन किया। लिंग, जाति, धार्मिक पहचान और यौनिकता से जुड़े विषयों पर उनकी कई शोध किताबें और लेख हिन्दी और अंग्रेज़ी में प्रकाशित हैं। कई क्षेत्रीय और विदेशी भाषाओं - मराठी, बांग्ला, मलयालम, जर्मन और फ्रेंच में उनका लेखन अनूदित है । उनकी कुछ प्रमुख किताबें हैं: सेक्सुअलिटी, ऑबसेनिटी, कम्युनिटी : वीमेन, मुस्लिम्स एंड द हिन्दू पब्लिक इन कोलोनियल इंडिया (परमानेंट ब्लैक, 2001, 2005, 2008, 2012); द जेंडर ऑफ़ कास्ट : रिप्रेसेंटिंग दलित्स इन प्रिंट (वाशिंगटन यूनिवर्सिटी प्रेस, 2016, 2017, 2018): कनटेस्टेड कोस्टलाइज़: फिशरफोल्क, नेशंज एंड बॉर्डर्स इन साउथ एशिया (रॉउटलेज, 2008, 2018); स्त्रीत्व से हिन्दुत्व तक : औपनिवेशिक भारत में यौनिकता और साम्प्रदायिकता; कास्ट एंड लाइफ नैरेटिव्ज़ (सम्पा.) और जेंडरिंग कोलोनियल इंडिया : रिफॉर्म्स, प्रिंट, कास्ट एंड कम्यूनलिज्म (सम्पा.)।
हिन्दी की कई प्रमुख पत्रिकाओं-प्रतिमान, आलोचना, तद्भव, उद्भावना, हंस और संवेद-में आपके लेख प्रकाशित हैं। आप आजकल बीसवीं सदी के प्रारम्भ में उत्तर भारत में जीवन कथाओं के माध्यम से विशेष शैलियों और विषयों के सामाजिक इतिहास पर काम कर रही हैं।