Pramod Jain
डॉ. प्रमोद जैन
ओशो संन्यासी एवं गोल्ड मेडलिस्ट शिशु विशेषज्ञ हैं। वर्तमान में रीवा में इनका गुरुकृपा हास्पिटल एवं रिसर्च सेंटर है।
कृतित्व : व्यंग्य - 'कुर्सीनामा'; गद्य-' -'यादें पिछले जन्मों की', 'क्रोध से करुणा की ओर', 'फ़ेसबुक फ्रेंड्स एवं छत्तीस अन्य कहानियाँ'; पद्य - 'गुलदस्ता', 'जिंदगी एक ग़ाल' एवं 'यात्रा' ।
ई-बुक : ' ओशो के इश्क़ में', 'ओशो तुम हो कितने प्यारे', 'ओशो की राहों में' एवं 'ओशो सहस्र अलंकार' ।
भाषान्तरण : ‘आत्माओं की यात्रा' व' आत्माओं की महायात्रा'; (Destiny of Souls and Journey of Souls by Michael Newton).
उप संपादक : सुख़नवर (द्वैमासिक पत्रिका भोपाल से प्रकाशित) ।
लेख, कहानी एवं कवितायें अख़बार व पत्रिकाओं में नियमित रूप से प्रकाशित एवं रेडियो से प्रसारित । कई गीत संगीतबद्ध - वंदना के फूल, ओशो की आँखें आदि ।
सम्मान : विंध्य शीर्ष सम्मान 2017, भाषाभारती सम्मान 2019, अखिल भारतीय दिगम्बर जैन परिषद सम्मान 2019, विंध्य शिखर सम्मान 2020 आदि ।