Ludwig Wittgenstein
अशोक बोहरा -
अशोक बोहरा दिल्ली विश्वविद्यालय के दर्शन विभाग में प्रोफ़ेसर और अध्यक्ष रहे हैं। वे कला संकाय के डीन भी रहे हैं। इन्होंने सेंट स्टीफ़न्स कॉलेज में दस वर्ष तक अध्यापन किया और वर्ष 1995 से 1998 तक भारतीय दार्शनिक अनुसन्धान परिषद् के सदस्य सचिव रहे। आपके राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय शोध-पत्रिकाओं, पुस्तकों, समाचार पत्रों इत्यादि में दो सौ से अधिक शोध-पत्र प्रकाशित हुए हैं। वर्ष 1986 में क्रम हेल्म द्वारा प्रकाशित विट्गेन्स्टाइन फिलोसॉफ़ी ऑफ़ माइंड पुस्तक के लिए इंडियन फिलोसॉफिकल कांग्रेस द्वारा इन्हें सम्मानित किया गया। वर्ष 1989 में के सच्चिदानन्द मूर्ति के साथ लिखी इनकी पुस्तक राधाकृष्णन : हिज़ लाइफ़ एंड आइडियाज़, स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ़ न्यूयॉर्क से प्रकाशित हुई। इसी पुस्तक का भारतीय संस्करण अजन्ता पब्लिकेशन्स और संशोधित लघु संस्करण ओरियन्ट पेपरबैक्स द्वारा प्रकाशित किया गया। वर्ष 1995 और वर्ष 1998 में भारतीय दार्शनिक अनुसन्धान परिषद् द्वारा प्रकाशित लुडविग विट्गेन्स्टाइन की कृतियों फ़िलोसॉफिकल इन्वेस्टिगेशन्स, कल्चर एंड वैल्यू के हिन्दी अनुवादों के लिए अखिल भारतीय दर्शन परिषद् द्वारा इन्हें क्रमशः वर्ष 1996 और 1998 के स्वामी प्रणवानन्द दर्शन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 1998 में ही लुडविग विट्गेन्स्टाइन की कृति ऑन सर्टेन्टि के इनके अनुवाद का प्रकाशन भारतीय अनुसन्धान दर्शन परिषद् द्वारा किया गया। वर्ष 2000 में भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान शिमला ने राधाकृष्णन स्मृति व्याख्यान 1996 और 1997 में इनके द्वारा किये गये अनुवाद का प्रकाशन किया। वर्ष 1995 और 2005 में इनकी सह सम्पादित पुस्तकें द फ़िलोसॉफ़ी ऑफ़ के. सच्चिदानन्द मूर्ति और धर्म : द कैटेगोरियल इम्पैरेटिव प्रकाशित हुई। इनकी पुस्तक विट्गेन्स्टाइन फिलोसॉफ़ि ऑफ़ माइंड को वर्ष 2014 में रूटलेज लन्दन ने अपनी रूटलेज रवाईवल्स सिरीज में पुनः प्रकाशित किया है। वीवा ग्रुप द्वारा वर्ष 2014 में इनकी पुस्तक मैन, मोरल्स एंड सेल्फ़ : ए फिलॉसॉफिकल प्रेस्पक्टिव प्रकाशित हुई है। वे नियमित रूप से द टाइम्स ऑफ़ इंडिया, द पॉयोनीयर, द हिन्दुस्तान टाइम्स और द ट्रिब्यून में धर्म और दर्शन सम्बन्धी लेख लिखते रहते हैं।