Mahendra Raja Jain
महेन्द्र राजा जैन -
जन्म: 10 मार्च, 1932, इटारसी (मध्य प्रदेश)।
शिक्षा : एम.ए., डिप्लोमा इन लाइब्रेरी साइन्स (बनारस); फ़ेलो आफ़ द लाइब्रेरी एसोसिएशन (लन्दन)।
भारत के अतिरिक्त ब्रिटेन, आयरलैंड, तंजानिया और जाम्बिया के सार्वजनिक एवं विश्वविद्यालयीन पुस्तकालयों में 27 वर्ष तक कार्य करने का अनुभव। सात वर्ष तक लन्दन के लाइब्रेरी एसोसिएशन की फ़ेलोशिप। परीक्षा के वरिष्ठ परीक्षक 1989 में इंडियन एक्सप्रेस, दिल्ली के पुस्तकालयाध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त।
'हिन्दी पुस्तकों का वर्गीकरण' प्रोज़ेक्ट पर कौंसिल ऑन लाइब्रेरी रिसोर्सेज वाशिंगटन एवं लाइब्रेरी एसोसिएशन लन्दन से दो वर्ष के लिए अनुदान 'इंडिया हू इज़ हू' तथा 'हू इज़ हू इन लाइब्रेरियनशिप' (लन्दन 1971) में नाम शामिल। हिन्दी की प्रायः सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। लन्दन से वाराणसी के दैनिक 'आज' के लिए आठ वर्ष तक साप्ताहिक। 'लन्दन की चिट्ठी' और दारेस्सलाम (तंजानिया) से चार वर्ष तक साप्ताहिक 'पूर्वी अफ्रीका की चिट्ठी' तथा दोनों जगहों से मासिक 'विदेश की साहित्यिक डायरी' का लेखन। अब तक 50 से अधिक देशों की यात्रा।
प्रकाशित पुस्तकें—वाराणसी से लन्दन : अंग्रेज़ अपने मुल्क में', 'साहित्य के नये सन्दर्भ', 'विराम चिह्न : क्यों और कैसे?', 'नामवर विचार कोश', 'क्या, कब, कहाँ?' ('हंस' के 27 वर्षों की लेखक, शीर्षक, विषयानुक्रमणिका)।