Dr. Pardeep Kumar Jain
डॉ. प्रदीप कुमार जैन -
1962 को चाँदनी चौक दिल्ली में जन्म हुआ। दिल्ली विश्वविद्यालय से पीएच.डी. और C.I.E. से एम.एड. की उपाधि लेने के पश्चात् विश्व के सर्वोत्तम विद्यालयों—द दून स्कूल, देहरादून और मॉडर्न स्कूल, बाराखम्बा रोड में शिक्षण। NCERT, SCERT, DIET, MCD, NOS. आदि अनेक शैक्षिक संस्थानों से जुड़कर शैक्षिक सामग्री और पुस्तकों की रचना की।
अब तक रति रंग ( काव्य-संग्रह); यात्रांश (यात्रा वृत्तान्त); भारतीय दर्शन का इतिहास, संस्कृत साहित्य का इतिहास, भारतीय संस्कृति, जैन अर्हत्, काव्य शास्त्र, भारतीय दर्शन में सर्वज्ञवाद (दो भागों में), काव्य और पाठ्यसहगामी क्रियाएँ, भाषा शिक्षण और रोचक गतिविधियाँ उल्लेखनीय कही जा सकती हैं।
इनके अतिरिक्त हिन्दी व्याकरण से सम्बन्धित व्याकरण व्योम, व्याकरण सम्बोध (दस भागों में), व्याकरण मनस्वी, वितान, उत्कर्ष, गरिमा, मधुप व अभिव्यक्ति हिन्दी पाठमाला ने विद्यालीय-शैक्षिक जगत में नये प्रतिमान स्थापित किये हैं। अनेक पुरस्कार एवं सम्मानों से विभूषित रहे डॉ. जैन देश के प्रभावी वक्ताओं की सूची में अग्रगणी माने जाते हैं।
देश के प्रभावशाली वक्ताओं की सूची में डॉ. जैन की गणना की जाती है। देश-विदेश में हज़ारों कार्यशालाओं के सफल संचालक रहे डॉ. जैन मधु-संबोध-शैक्षिक पत्रिका के सम्पादक हैं। भाषाविद्-शिक्षाविद होने के साथ-साथ खरी-खरी सुनानेवाले राजनीतिक विश्लेषक भी हैं।