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मास्ति वेंकटेश अय्यंगार

मास्ति वेंकटेश अय्यंगार 

6 जून 1891 को कर्नाटक के सीमावर्ती ज़िले कोलार के मास्ति गाँव में जन्म ।

काव्य-नाम 'श्रीनिवास' होते हुए भी समस्त कर्नाटक में 'मास्ति जी' के नाम से प्रख्यात ।

छात्र-जीवन में निरन्तर अपनी प्रतिभा का परिचय देते हुए मैसूर राज्य सिविल सर्विस प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया। 1914 से कई उच्च सरकारी पदों पर कार्यशील रह कर 1944 में सेवानिवृत्त । तदुपरान्त 25 वर्षों तक 'जीवन' पत्रिका का सम्पादन-कार्य किया ।

मातृभाषा तमिल होते हुए भी साहित्य-सृजन के लिए प्रमुखतः कन्नड़ को चुना। कहानी, उपन्यास, कविता, नाटक, समीक्षा, जीवनी आदि साहित्य की सभी विधाओं में शताधिक कृतियों का लेखन-प्रकाशन । उनकी रचनाओं में 15 कहानी-संग्रह, 3 ऐतिहासिक उपन्यास, 17 कविता-संग्रह, 18 नाटक, 18 निबन्ध-आलोचना के अलावा 9 सम्पादित ग्रन्थ तथा अंग्रेज़ी में 15 पुस्तकें सम्मिलित हैं।

'कन्नड़ कहानी के जनक' के रूप में लोकप्रिय श्री मास्ति 1969 में 'साहित्य अकादेमी पुरस्कार', 1971 में साहित्य अकादेमी के फेलो और वर्ष 1983 के 'ज्ञानपीठ पुरस्कार' से सम्मानित हुए। वे कन्नड़ साहित्य सम्मेलन के तथा कन्नड़ साहित्य परिषद के अध्यक्ष भी रहे ।

स्मृतिशेष : 6 जून, 1986 |