Fahmida Riaz

फ़हमीदा रियाज़ (1946-2018)

पाकिस्तान की अग्रणी महिला कवि, प्रगतिशील उर्दू लेखिका और मानवाधिकार कार्यकर्ता थीं। उनके काव्य संग्रहों में पत्थर की ज़बान, बदन दरीदा, धूप, क्या तुम पूरा चाँद न देख पाओगे, हम-रकाब और आदम की ज़िन्दगी शामिल हैं। वे उम्दा अनुवादक थीं, खासतौर पर मेवलाना जलालुद्दीन रूमी की मसनवी खाना-ए आब-ओ गिल, जो कि फारसी से उर्दू में उनका पहला अनुवाद था और शाह अब्दुल लतीफ भिटाई और शेख अयाज़ की रचनाओं के सिन्धी से उर्दू में किये गये अनुवादों पर उन्हें गर्व भी था। उनके कई लघु कहानी संग्रह जैसे भारत पर आधारित गोदावरी और बांग्लादेश पर आधारित ज़िन्दा बहार लेन व कई उपन्यास भी प्रकाशित हुए। सन् 1997 में प्रतिरोधी साहित्य के लिए उन्हें ह्यूमन राइट्स वॉच, न्यूयॉर्क द्वारा हेलमैन-हेमेट अवार्ड और सन् 2010 में उनके देश द्वारा सितारा-ए-इम्तियाज़ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनके कविता संग्रह अपना जुर्म साबित है की कविताएँ जनरल ज़िया-उल-हक के शासन के दौरान मातृभूमि की यादों से जुड़ी हैं। साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए, फहमीदा रियाज़ को नाज़िम हिकमत, पाब्लो नेरुदा, ज्यॉ पॉल सार्त्र और सिमोन द बोउवा की श्रेणी में गिना जा सकता है।

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