Vibhuti Narain Rai
विभूति नारायण राय
जन्म : 28 नवम्बर 1950
शिक्षा : मुख्य रूप से वनारस और इलाहावाद में। 1971 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी साहित्य में एम.ए. करने के बाद आजीविका के लिए विभिन्न नौकरियाँ कुछ साल अध्यापन के वाद 1975 में भारतीय पुलिस सेवा के लिए चयनित। तीन दशकों से अधिक पुलिस की सेवा के बाद पाँच वर्ष तक महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलपति रहे और जनवरी 2014 में अन्तिम सेवानिवृत्ति के साथ अव नोएडा में रहते हैं। फ़िलहाल कुछ पत्र-पत्रिकाओं में कॉलमों के साथ स्वतन्त्र रचनात्मक लेखन ।
प्रकाशित कृतियाँ : उपन्यास : घर, शहर में कर्फ्यू, क़िस्सा लोकतन्त्र, तबादला, प्रेम की भूतकथा, रामगढ़ में हत्या; व्यंग्य : एक छात्र नेता का रोज़नामचा; लेख-संकलन : साम्प्रदायिक दंगे और भारतीय पुलिस, रणभूमि में भाषा, फ़्रेंस के उस पार, किसे चाहिए सभ्य पुलिस, पाकिस्तान में भगत सिंह, अन्धी सुरंग में काश्मीर, राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले;
रिपोर्ताज : हाशिमपुरा 22 मई ।
सम्पादन : लगभग दो दशकों तक हिन्दी की महत्त्वपूर्ण पत्रिका 'वर्तमान साहित्य' और पुस्तक कथा साहित्य के सौ बरस (बीसवीं शताब्दी के कथा साहित्य का लेखा-जोखा) का सम्पादन ।