Madhukar Upadhyaya

मधुकर उपाध्याय

मधुकर उपाध्याय का जन्म पहली सितम्बर 1956 को अयोध्या में हुआ था। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा और डिग्री वहीं से हासिल की।

लगभग तीन दशक की सक्रिय पत्रकारिता के दौरान संस्कृत और उर्दू साहित्य तथा संगीत में उनकी रुचि निरन्तर बनी रही। उनकी अब तक पन्द्रह पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। इनमें से कुछ का कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद हुआ है।

पत्रकारिता और रचनात्मक लेखन की दूरी पाटते हुए मधुकर ने महात्मा गांधी के ऐतिहासिक दांडी मार्च की पुनरावृत्ति की और बाद में इस विषय पर धुँधले पदचिह्न लिखी। उनकी अन्य चर्चित पुस्तकों में क़िस्सा पांडे सीताराम, पचास दिन पचास साल पहले और पूर्णविराम सिद्धान्त कौमुदी प्रमुख हैं। अयोध्या मस्जिद विध्वंस पर पंचलाइन और गुजरात दंगों पर ड्रॉइंग द बैटल लाइंस उनकी चर्चित अंग्रेज़ी पुस्तकें हैं।

उन्होंने पाँच नाटक भी लिखे, जिनमें से एक नाइजीरियाई मानवाधिकार कार्यकर्ता केन सारोवीवा के जीवन पर आधारित है। उनकी एक कविता पुस्तक यही तो सच की खूबी है भी प्रकाशित हुई है।

मधुकर ने पूरे भारत की सड़क मार्ग से यात्रा की है और बीस से अधिक देशों का भ्रमण किया है।

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