Zafar Iqbal

ज़फ़र इक़बाल की गिनती उर्दू के उन शायरों में होती है जिन्होंने ग़ज़ल को बिल्कुल नए शब्दों एवं भावों से परिचित कराया। उनकी ग़ज़ल, उर्दू ग़ज़ल की पारम्परिक भाषा, उसके रूपकों, प्रतीकों, उपमाओं और शायरी के दूसरे पारम्परिक साँचों से अलग नए प्रयोगों की एक नई दुनिया आबाद करती है। 

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