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प्रयाग शुक्ल

प्रयाग शुक्ल

कवि, कथाकार, निबन्धकार, अनुवादक, कला व फ़िल्म-समीक्षक ।

28 मई, 1940 को कोलकाता में जन्म। कलकत्ता विश्वविद्यालय के स्नातक। यह जो हरा है, इस पृष्ठ पर, सुनयना फिर यह न कहना, यानी कई वर्ष समेत 10 कविता-संग्रह, तीन उपन्यास, छह कहानी-संग्रह और यात्रा-वृत्तान्तों की भी कई पुस्तकें प्रकाशित ।

कला-सम्बन्धी पुस्तकों में आज की कला, हेलेन गैनली की नोटबुक; कला-लेखन संचयन कला की दुनिया में, हुसेन की छाप, स्वामीनाथन : एक जीवनी; फ़िल्म-समीक्षा की पुस्तक जीवन को गढ़ती फ़िल्में चर्चित-प्रशंसित हैं।

बांग्ला से रवीन्द्रनाथ ठाकुर की गीतांजलि का अनुवाद और उनके कुछ अन्य गीतों का भी, जो सुनो! दीपशालिनी में संकलित हैं। बांग्ला से ही जीवनानन्द दास, शंख घोष और तसलीमा नसरीन की कविताओं के भी अनुवाद किये हैं। बंकिमचन्द्र के प्रतिनिधि निबन्धों के अनुवाद पर साहित्य अकादेमी का 'अनुवाद पुरस्कार' प्राप्त हुआ है। साहित्य अकादेमी से ही ओक्तावियो पाज़ की कविताएँ पुस्तक प्रकाशित । आलोचना की एक पुस्तक अर्ध विराम और निबन्धों का संकलन हाट और समाज भी उपलब्ध हैं। यात्रा-सम्बन्धी पुस्तकों में सम पर सूर्यास्त, सुरगाँव बंजारी, त्रांदाइम में ट्राम, ग्लोब और गुब्बारे उल्लेखनीय हैं। सम्पादित पुस्तकें हैं : कल्पना-काशी अंक, कविता नदी, कला और कविता, रंग तेन्दुलकर, अंकयात्रा। शीघ्र प्रकाश्य पुस्तकें : फिर कोई फूल खिला (ललित टिप्पणियाँ), वे मुझे बुला रहे हैं (अनुवाद, विश्व-कविता)। बच्चों के लिए लिखने में विशेष रुचि । बाल-साहित्य की एक दर्जन किताबें प्रकाशित-चर्चित ।

सम्प्रति : स्वतन्त्र लेखन और चित्र-रचना ।

ई-मेल : prayagshukla2018@gmail.com