Gopal Chaturvedi

गोपाल चतुर्वेदी

15 अगस्त, 1942 को लखनऊ में जनमे गोपाल चतुर्वेदी की शिक्षा ग्वालियर, भोपाल तथा इलाहाबाद में हुई जहाँ से उन्होंने अँग्रेजी में एम.ए. किया। भारतीय प्रशासनिक तथा अन्य केन्द्रीय सेवाओं की परीक्षा के माध्यम से 1966 में उन्होंने भारतीय रेल की लेखा-सेवा में प्रवेश किया। रेल, गृह, नागर विमानन और पर्यटन मन्त्रालयों में उच्च पदों पर सेवा के उपरान्त 1993 से 1998 तक राज्य व्यापार निगम में निदेशक (वित्त) के पद पर काम किया।

पढ़ाई के दिनों से पठन-पाठन और लेखन में रुचि रही है। छात्र-जीवन से ही कविता और लेख राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं। पिछले दो दशकों से व्यंग्य-लेखन में सक्रिय हैं।

सारिका, इण्डिया टुडे (हिन्दी), राष्ट्रीय सहारा में वर्षों व्यंग्य कॉलम लिखे । आजकल नवभारत टाइम्स, हिन्दुस्तान, दैनिक भास्कर और साहित्य अमृत में नियमित व्यंग्य कॉलम लिख रहे हैं।

कुछ तो हो और धूप की तलाश दो काव्य-संग्रह तथा अफ़सर की मौत, दुम की वापसी, खम्भों के खेल, फाइल पढ़ि-पढ़ि, आज़ाद भारत में कालू, दाँत में फँसी कुरसी, गंगा से गटर तक, राम झरोखे बैठके आदि व्यंग्य-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं।

भारत के प्रथम सांस्कृतिक समारोह 'अपना उत्सव' के आशय गान 'जय देश, भारत-भारती' के पुरस्कार और व्यंग्य-लेखन में उल्लेखनीय योगदान के लिए हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा साहित्यकार सम्मान तथा हिन्दी भवन, दिल्ली द्वारा 'व्यंग्य-श्री' सम्मान के अलावा गोपाल चतुर्वेदी अन्य कई सम्मान-पुरस्कारों से भी नवाजे जा चुके हैं।

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