Makhanlal Chaturvedi
माखनलाल चतुर्वेदी -
आधुनिक कविता में 'एक भारतीय आत्मा' गद्य में 'साहित्य देवता' और साहित्यिकों में 'दादा' के नाम से विख्यात राष्ट्रकवि माखनलाल चतुर्वेदी (जन्म : 4 अप्रैल, 1889, देहावसान 30 जनवरी, 1968) का सम्पूर्ण जीवन पत्रकारिता, राष्ट्र जागरण, समाज सुधार, राष्ट्रभाषा प्रचार प्रसार तथा नयी पीढ़ी के साहित्यिक व्यक्तित्व के संवर्धन को समर्पित रहा। 'प्रभा', 'प्रताप' और 'कर्मवीर' जैसी उस समय की महत्त्वपूर्ण पत्रिकाओं के माध्यम से उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर सार्वजनिक जीवन को वैष्णवी संस्कार तथा सांस्कृतिक एवं मानवतावादी आधार प्रदान किया।
वे हिन्दी साहित्य सम्मेलन के सभापति भी रहे। साथ ही अपने समय की सारी युगधाराओं को आत्मसात कर उन्होंने प्राचीनों का प्रतिनिधित्व किया और आधुनिकों के लिए आदर्श उपस्थित किया।
प्रकाशित रचनाएँ: 'हिमकिरीटिनी', 'हिमतरंगिनी', 'माता', 'समर्पण', 'वेणु लो गूँजे धरा', 'बीजुरी काजल आँज रही', 'मरणज्वार' (काव्यकृतियाँ); 'साहित्य देवता' (गद्य); 'कला का अनुवाद' (कहानी); 'अमीर इरादे ग़रीब इरादे', 'समय के पाँव', 'चिन्तक की लाचारी' (निबन्ध) तथा 'कृष्णार्जुन युद्ध' (नाटक) आदि।