Chandrashekhar Kambar
चन्द्रशेखर कंबार - वर्ष 1937 में कर्नाटक के घोदगेरी नाम एक छोटे से गाँव में जनमे पद्मश्री चन्द्रशेखर कंबार कन्नड़ के प्रख्यात नाटककार-कवि-उपन्यासकार आलोचक हैं। इनकी रचनाओं में प्राचीन मिथकों-सन्दर्भों को नयी और आज की रोशनी में पुनर्सजित किया गया है। चौबीस नाटकों, आठ कविता संकलनों, छः गद्य कृतियों व चौदह आलोचनात्मक पुस्तकों के साथ चन्द्रशेखर कंबार का स्थान कन्नड़ साहित्य में अतुलनीय है। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित श्री कंबार की प्रमुख कृतियों में तकराठी नवरू, साविरादा नेरालू, चकोरी (कविता); जोकुमारस्वामी, चलेशा, जयसिदानायका, हराकेया कुरी (नाटक); करिमायी, सिगरेव्वा मत्तु अरामाने (कहानी साहित्य) आदि हैं। श्री कंबार की पाँच पुस्तकें कर्नाटक साहित्य अकादेमी पुरस्कार से पुरस्कृत हैं। जोकुमारस्वामी को वर्ष 1975 में कमलादेवी पुरस्कार (नाट्य संघ द्वारा), जयसिदानायका को वर्ष 1975 में वर्द्धमान प्रशस्ति (कर्नाटक सरकार द्वारा), साविरादा नेरालू को वर्ष 1982 में अशान पुरस्कार (केरल सरकार द्वारा प्रदान किया गया है। नाटक में अपने अवदान के लिए वर्ष 1990 में के.वी. शंकरे गौड़ा पुरस्कार (वर्ष 2010) के अलावा चन्द्रशेखर कंबार संगीत नाटक अकादेमी व साहित्य अकादेमी पुरस्कार से भी अलंकृत हैं। अनुवादक - सान्त्वना निगम - उत्तरप्रदेश में पली-बढ़ी, मातृभाषा बांग्ला। विगत पच्चीस वर्षों से अमेरिकी विश्वविद्यालय में हिन्दी का अध्यापन। अलीबाबा, खारा पानी, असमाप्त, ताम्रपत्र, क़िस्सा हक़ीम साहब जैसे कई प्रसिद्ध नाटकों का अनुवाद।