Mrityunjay
मृत्युंजय कुमार सिंह पश्चिम बंगाल कैडर के एक वरिष्ठ आई.पी.एस. अधिकारी हैं जो अपनी गँवई संवेदना और शहरी रहन-सहन के बीच जीवन को समझने में लगे हैं। कभी भोजपुरी गीतों की रचना ('ऐ बबुआ' और 'रुक जा सजनवा' भोजपुरी गीतों का एलबम-T-Series) और अन्य भाषाओं के लोक-गीतों में वो अपनी परम्परा खोजते हैं, तो कभी लेख, कविता 'किरचें' काव्य संग्रह, अनुपम प्रकाशन, पटना एवं नाटक 'देव-सभा', 2015 के ज़रिये अपनी पहचान। प्रतिभा को अथक प्रयास भर मानने वाले मृत्युंजय ने कालिदास के 'मेघदूत' के अंग्रेज़ी (Meghdoot : The Emissary of Sunderance, Trafford Publishing, USA 2012) और हिन्दी ('मेघदूत: विरह का दूत'-राजकमल प्रकाशन, 2014) रूपान्तर का भी साहस जुटाया। सरकारी नौकरी को लोगों की सेवा का एक और माध्यम मानने वाले मृत्युंजय ने सदैव सत्ता के खुरदरे हाथों से भी संगीत और साहित्य की रचना की है, और हमेशा ये माना है कि हर विद्रूप पत्थर में एक सुन्दर मूर्ति का अंश होता है। 'आस के आभास' मृत्युंजय का दूसरा काव्य-संग्रह है। 'गंगा रतन बिदेसी' मृत्युंजय का पहला उपन्यास है।