Lipika Saha
जन्म: 30 दिसम्बर, 1965। शिक्षा: स्नातक (गोरखपुर विश्वविद्यालय, 1983)। बांग्ला से हिन्दी एवं हिन्दी से बांग्ला में कहानियों, उपन्यासों, कविताओं एवं लेखों का अनुवाद। पहला अनूदित ग्रंथ 'पाथेर पाँचाली' का (हिन्दी से बांग्ला, 2006), बांग्ला की अग्रणी प्रकाशन संस्था आनन्द पब्लिकेशन से प्रकाशन। अन्य उल्लेखनीय अनूदित रचनाएँ: प्रथम आलोक (सुनील गंगोपाध्याय), शरणागत (समरेश मजुमदार), एकतारा (तिलोत्तमा मजुमदार), जर्म की पलकें, दिग्भ्रष्ट, (तिलोत्तमा मजुमदार), आमादेर कथा (विजया राय), मैत्रेय जातक (वाणी बसु) आदि प्रकाशित। हिन्दी की अग्रणी साहित्यिक पत्रिकाओं में इनकी अनूदित कहानियाँ और कविताएँ प्रकाशित होती रहती हैं। स्वतन्त्र कॉलम लेखन से भी जुड़ी हैं। बांग्ला एवं हिन्दी के अलावा अंग्रेज़ी एवं संस्कृत साहित्य में भी रुचि रखती हैं। लेखन के अतिरिक्त छायांकन में लिपिका की गहरी रुचि है। फ़िलहाल रवीन्द्रनाथ की माँ पर लिखे उपन्यास 'ठकुराइन सारदा सुन्दरी' (कावेरी रायचौधरी) और महानदी के विस्थापितों की करुण गाथा पर आधारित उपन्यास 'महानदी (अनिता अग्निहोत्री)' के अनुवाद में संलग्न हैं। लिपिका हिन्दी एवं बांग्ला की वरिष्ठ अनुवादक हैं। अनुवाद कृतियों के लिए हिन्दी के प्रतिष्ठित सम्मान 'सुभद्रा कुमारी चौहान सम्मान' से सम्मानित 2020।